सुहागिन महिलाएं इस समय करें पूजा
ज्येष्ठ अमावस्या बेहद खास वट सावित्री, शनि जयंती के साथ इस दिन है सूर्य ग्रहण
10 जून 2021 दिन गुरुवार को पड़ रही है ज्येष्ठ अमावस्या
अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं करती हैं वट सावित्री का व्रत
हर माह कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या आती है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाने के साथ वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या बेहद खास है क्योंकि इस बार 10 जून 2021 दिन गुरुवार को अमावस्या के दिन साल 2021 का पहला सूर्यग्रहण लगेगा। यह सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक लग जाते हैं और पूजा-पाठ करना वर्जित होता है। हालांकि भारत की बहुत ही कम जगहों पर आंशिक रूप से सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा। यही कारण है कि भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी वट सावित्र के व्रत की पूजा को लेकर महिलाओं के मन में आशंका बनी हुई है।
कब से कब तक रहेगा सूर्य ग्रहण
10 जून 2021 दिन गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से सूर्य ग्रहण आरंभ हो जाएगा जो शाम 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। इस तरह सूर्य ग्रहण की कुल अवधि लगभग पांच घंटे की रहेगी। आपको बता दें कि यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। इस कारण सभी कार्य किए जा सकेंगे। महिलाएं भी बिना किसी संशय के पूजन कर सकती हैं।
अमावस्या तिथि वट सावित्री पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि आरंभ- 9 जून 2021 दिन बुधवार दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि समाप्त- 10 जून 2021 दिन गुरुवार शाम 04 बजकर 20 मिनट पर
वट सावित्री व्रत तिथि- 10 जून दिन गुरुवार
वट सावित्री व्रत पारण- 11 जून 2021 दिन शुक्रवार
शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 08 बजकर 08 मिनट से सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 08 मिनट से सुबह 04 बजकर 56 मिनट तक
इस समय न करें पूजन
राहुकाल- दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से शाम 03 बजकर 47 मिनट तक
यमगण्ड- प्रातः 05 बजकर 44 मिनट से सुबह 07 बजकर 24 मिनट तक
आडल योग- प्रातः 04 बजकर 57 मिनट से सुबह 11 बजकर 45 मिनट तक
दुर्मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 12 मिनट से से सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक
कुलिक काल- सुबह 09 बजकर 05 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत सुहागिन स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं श्रंगार करने के पश्चात वट वृक्ष (बरगद का पेड़) और सावित्री-सत्यवान की पूजा करती हैं। पूजा के पश्चात सावित्री सत्यवान की कथा पढ़ी जाती है और महिलाएं देवी सावित्री से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्रदान करें।

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