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'21 जून 2021 को 5 ग्रहो का होगा राशि परिवर्तन, 5 राशियों पर इसका विशेष प्रभाव'

गुरुवार, 17 जून 2021

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का एक स्थान से दूसरी राशि बदलना एक सामान्य सी बात होती है ।
लेकिन जब एक साथ एक ही दिन में दो या दो से अधिक ग्रह जब राशि परिवर्तन करते हैं तो देश दुनिया पर उसका  कोई न कोई प्रभाव भी देखने को  मिलता है । श्री मंशापूर्ण ज्योतिष डॉ विकास दीप शर्मा के अनुसार 21 और 22 जून को जो ग्रहों का परिवर्तन हो रहा है उसके अनुसार सबसे बड़े ग्रह *गुरु ( वृहस्पति ) ग्रह* दिन में 12:03 बजे वक्री गति चाल होने जा रहे है ।
21 जून को रात्रि 12 बजे *शुक्र देव* कर्क राशि मे प्रवेश करेंगे । 22 जून को *चंद्र देव* वृश्चिक राशि में सवा 2 दिन के लिए प्रवेश करेंगे
22 जून को ही दिन में 1:08 पर *सूर्यदेव*  का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश रहेगा । वर्षा योग इसी दिन से प्रभावी हो जाएगा । 22 जून को ही  शाम को 7:30 बजे *बुध ग्रह* मार्गी होने जा रहे है । उपरोक्त ग्रहों के परिवर्तन से सामाजिक ,आर्थिक और प्राकृतिक छेत्र  पर भी कहीं ना कहीं असर रहेगा , वही पर वैक्सीन ओर  महामारी के इलाज को लेकर कोई नई खोज की भी संभावना रहेगी । गुरु, सूर्य, चंद्र शुक्र ओर बुध के इस बदलाव से प्राकृतिक  रूप  में  परिवर्तन दिखेगा ,जिसके कारण हवाओं में परिवर्तन , भूमि हलचल ,भूकंप जैसा प्रभाव और बिजली गिरना, अग्नि से संबंधित घटना भी देखने मे सामने आ सकती है ।।
डॉ विकास दीप के अनुसार गुरु के वक्री होने से भी धार्मिक क्षेत्रों में कुछ-न-कुछ हलचल देखने को मिलेगी । धर्म से जुड़े लोगों में वाद विवाद , मतभेद जैसी स्थिति सामने आ सकती है ।बुध ग्रह के मार्गी  होने से व्यापार व्यवस्था में सुधार की स्थिति  सामने आएगी ।
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भी देश मे भय व्याप्त रहेगा । लेकिन यहां तक ग्रहो के प्रभाव से  इस लहर से ज्यादा हानि की संभावना नही रहेगी ।
शनि ग्रह और गुरु के वक्री होने से राजनीति क्षेत्र में भी कुछ बड़े बदलाव सामने आएंगे।
5 राशि वाले जातक अधिक प्रभावित होंगे वक्री गुरु की चाल से
मेष , मिथुन, सिंह , तुला ओर कुम्भ राशि वाले जातकों पर इसका अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा। 
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब कोई भी ग्रह किसी भी राशि में गतिशील रहते हुए अपने स्वाभाविक परिक्रमा पथ पर आगे को न बढ़कर पीछे की ओर गति करता है तो वह ग्रह वक्री कहलाता है। जिस भाव और राशि में वह वक्री होते हैं उस राशि और भाव संबंधी फलादेश में काफी कुछ परिवर्तन अवश्य देखने को मिलता है। ऐसे में बृहस्पति ग्रह हर 13 महीने में लगभग चार महीने के लिए वक्री होते हैं। सौभाग्य, शिक्षा, दर्शन और अभ्यास को दर्शाने वाला यह ग्रह जब वक्री होते हैं तो व्यक्ति आंतरिक विकास की ओर बढ़ता है जो की हर मनुष्य के लिए अत्यधिक अनिवार्य है। अध्यात्म की दृष्टि से यह लाभ प्रद है लेकिन आधुनिकता को लेकर इसके परिणाम शुभ नहीं माने गए है । श्री मंशापूर्ण ज्योतिष 
पं विकासदीप शर्मा 9425137382

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