आदिवासी बाहुल्य ग्राम में जिला क्षय नियत्रंण अधिकारी डा आशीष व्यास ने कुपोषित बच्चों, गर्भवती एवं किशोरी बालिकाओं की टीबी की जांच की
बूढ़ी बरोद में 9, वीरपुर में 3 टीबी के गंभीर मरीज मिले डा व्यास ने तत्काल जिला क्षय अस्पताल आने को कहा इनमें 5 किशोरी बालिकाऐ भी शामिल
टीबी एवं स्वास्थ्य जांच शिविर में डा आशाीष व्यास ने कहा कि जिसको गांव वाले विषवेल समझ रहे थे वह टीबी निकली जो कि जानलेवा होती है
शिवपुरी। टीबी रोगियों को चिह्नित करने और उन्हें इलाज के दौरान भोजन पोषण सहायता राशि कार्यक्रम भी जारी है। इसके तहत मरीजों को प्रत्येक माह पांच सौ रुपये के हिसाब से भुगतान बैंक खाते में होना है। निजी डॉक्टरों को टीबी मरीजों की जानकारी सीएमएचओ और जिला क्षय रोग अधिकारी को देनी है। निक्षय पोर्टल पर भी मरीज का विवरण देना है। टीबी रोगी चिह्नित करने पर पांच सौ रुपये और इलाज पूरा करने पर पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है इसके बाबजूद आदिवासी बाहुल्य ग्राम वीरपुर एवं बूढ़ी बरोद में आज शक्तिशाली महिला संगठन एवं जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी कार्यालय द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित टीबी जागरुकता एवं टीबी की जांच शिविर में देखने को मिली अधिक जानकारी देतु हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया कि गर्भवती माता, किशोरी बालिकाओं एवं कुपोषित बच्चों में टीबी की जांच की जिसमें कि अकेले बूढ़ी बरोद में 9 टीबी के गंभीर मरीज एवं आदिवासी बाहुल्य ग्राम बीरपुर में 3 गंभीर मरीज चिन्हित किये जिनको कि डा व्यास ने जिला टीबी अस्पताल में कल भेजने की सलाह दी। कार्यक्रम में रवि गोयल संयोजक शक्तिशाली महिला संगठन ने बताया कि आज संस्था द्वारा बूढ़ी बरोद एवं वीरपुर में आयोजित शिविर में ऐसे गंभीर टीबी के मरीज चिन्हित किए इनको अगर अबिलम्ब उपचार शुरु नही हुआ तो टीबी का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। तपेदिक रोग मुक्त बनाने के लिए संक्रमण की समय पर पहचान एवं उपचार अनिवार्य है। समाज को तपेदिक से मुक्त करने के लिए सभी को संकल्प लेना होगा। कि सभी गांव वाले मिलकर जब तक एक भी टीबी का मरीज गांव में न रहे तब तक हमको मिलकर टीबी के लिए लड़ना होगा एवं खुद के घर के साथ साथ अगर दुसरे घर में भी टीबी का कोई भी सदिंग्ध मरीज है तो इसको उपचार एवं दवाईयो के लिए आशा कार्यकर्ता के माध्यम से जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी से सम्पर्क करना होगा। डा आशाीष व्यास ने गांव वालो को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी गर्भवती माता जिसमे टीबी के कोई भी लक्षण पाए जाते है तो वह तत्काल टीबी अस्पताल में अपनी जाचं कराए क्योकि गर्भवती माता से उसके होने वाले बच्चे को भी टीबी होने की संभावना हो सकती है। इसके साथ किशोरी बालिकाए जिनको 15 दिन तक खासीं हो , रात को तेज बुखार रहता है , लगातार वजन का कम होना एवं भूख न लगना जैसे लक्षण हो तो आप अपनी बलगम की जांच कराए उन्होने कहा कि टीबी फैलने वाला रोग भी है और रोगियों की समय से पहचान न की जाए तो अन्य स्वस्थ लोगों के संक्रमित होने का खतरा भी रहता है। वे उन सभी लोगों और संगठनों का आभार व्यक्त करती हैं जो तपेदिक मुक्त अभियान को मजबूत कर रहे हैं। सही समय पर सही उपचार से तपेदिक के रोग को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इसीलिए हमको गांव को टीबी मुक्त करने के लिए आज ही संकल्प लेना होगा । इसके साथ उन्होने आज ऐसे 9 टीबी मरीजो को चिन्हित किया जिनको कि गर्दन में गठाने पड़ गयी है जिसमें कि मवाद पड़ने लगा है जो कि प्रथम दृष्टया टीबी होने का संकेत है इन सभी को जांच के लिए जिला टीबी अस्तपाल बुलाया है। उन्होने कहा कि टीबी की 6 माह की दवा का पूरा कोर्स करने पर इसको पूर्ण तरीके से ठीक किया जा सकता है आप गोली खाकर उसपे लिखे टोली फ्री नम्बर पर मिस काॅल देना होगा जिससे कि आपके प्रतिदिन समय पर दवाई के कोर्स शुरु करने की सूचना संधारित की जायेगी एवं जिस दिन आपके द्वारा गोली नही खायी जायेगी तो उसका पता लग जाएगा। आज टीबी जांच शिविर में गढीबरोद एंव वीरपुर की सुपोषण सखी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं किशोरी बालिकाओ के साथ शक्तिशाली महिला संगठन की पूरी टीम ने सक्रिय भूमिका अदा की ।

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