शिवपुरी। श्यामली हटती चले, तब ही ये रात चले
तुलूअ-ए-सुबह तक कोई तो साथ चले
आदाब-ए-नज़र बदल कर तो ज़रा देख
चिराग़-ए-दर अन्तर्मन में तेरे साथ चले
अंजुमन में गूंज रहे हैं कितने ही फ़साने
सुना प्रेम धुन जो तेरी धड़कनों के साथ चले
मुस्कान से लवरेज़ कर दे तू ज़र्रा-ज़र्रा
अर्ज-ओ-समाँ में तेरा ही उल्लास साथ चले
अंजली भर ले विश्वास अपने जेहन में बहुत
मुश्किल घड़ी में कृष्ण का प्रेम तेरे साथ चले

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