सुधि पाठकों, सादर प्रणाम
आपके निरन्तर उत्साहवर्द्धन से मामा का धमाका डॉट कॉम को अब तक 30 लाख से अधिक बार पाठकों का स्नेह मिल चुका है। यही विश्वास निरन्तर बनाये रखिये। पाठकों के मिले एक सुझाव पर हम साहित्य कॉर्नर की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह कॉलम आपको ही समर्पित है। कृपया अपनी रचना, कविता, लेख, गजल आप 98262 11550 पर वाट्सअप कर सकते हैं। याद रहे सामग्री आपकी अपनी हो। किसी भी विवाद के लिये आप खुद जिमेदार होंगे। आज इस कॉलम की शुरुआत हम अंजली अग्रवाल की गजल के साथ करने जा रहे हैं। आप भी लीजिये आनंद.....
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मुस्कान को ज़रा अपना कर चल
अश्क़ ज़रा अपने छुपा कर चल
नमक जेब में रखता है जमाना
जख़्म अपने ज़रा दवा कर चल
न ग़मगीन हो, न गमज़दा होना
गम्भीरता को तू ज़रा दिखा कर चल
तुझको अकेला ही चलते जाना है
डर को तू ज़रा दबा कर चल
तिनका तिनका इक दिन उड़ जाना है
प्रेम रस तू ज़रा झलका कर चल
सबके जेहन में हो तेरा ही ठिकाना

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