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खून में पल रही बीमारी ले सकती है जान: डॉक्टर आशीष

रविवार, 20 जून 2021

/ by Vipin Shukla Mama
डॉक्टर आशीष व्यास जिला क्षय अधिकारी ने किया संबोधित
वर्ल्‍ड सिकल सेल अवेयरनेस डे पर डॉक्टर निदा खान को शतप्रतिशत कोविद 19 का टीकाकरण करने के लिए प्रदेश में तीसरा स्थान आने के लिए सम्मानित किया
शिवपुरी। सिकल सेल रोग के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। यह एक खतरनाक बीमारी है जो गंभीर मरीज की जान भी ले सकती है।यह कहना था जिला क्षय रोग आफीसर डॉक्टर अशीष व्यास  का हालांकि, जागरूक मरीज उपचार के जरिए सामान्य जीवन जी सकता है। यह रोग और इसके उपचार के तरीकों के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 19 जून को 'विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस' मनाया जाता है। इसके तहत शाक्तिशाली महिला संगठन ने वाण गंगा के खुले परिसर में मैदानी कारकर्ताओ को  हसिए के आकार की आरबीसी के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। प्रोग्राम के आयोजक शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल ने  बताया  कि  आज संस्था द्वारा खुले परिसर में विश्व सिकिल सेल एनीमिया जागरुकता दिवस मनाया साथ ही  इस अवसर पर कोविड् 19 टीकाकरण सत प्रतिशत तेंदुआ पंचायत को मध्यप्रदेश में तीसरा स्थान  आने पर एवम जिले में प्रथम स्थान आने पर  इस कार्य मे अपना अमूल्य योगदान के  मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर निदा खान को शॉल श्रीफल एवम पौधा देकर सम्मानित किया। डॉक्टर निदा खान ने बताया कि स्किल सेल एनीमिया में होने लगती है खून की कमी यह एक पैदाइशी बीमारी है। शरीर में अलग-अलग हीमोग्लोबिन होता है। यह हीमोग्लोबिन 'एस' होता है जिसका आकार अंग्रेजी अक्षर एस व हंसिया जैसा होता है। सिकल सेल रोग (एससीडी) हीमोग्लोबिन की विरासत में मिली आनुवांशिक असामान्यता है। यह असामान्यता छोटी ब्लड सेल्स में फंस जाती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन धीमा हो जाता है। इसमें मरीज के शरीर में खून की कमी होने लगती है। सामान्य आरबीसी की उम्र तकरीबन 120 दिन होती है, जबकि ये दोषपूर्ण सेल अधिकतम 10 से 20 दिन तक जीवित रह पाते हैं।
रक्त विकार के बारे में डॉ. निदा कहती हैं, आमतौर पर हीमोग्लोबिन का आकार 'ओ' शेप का होता है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। हालांकि इस रोग में हीमोग्लोबिन के दोषपूर्ण आकार के कारण लाल रक्त कोशिकाएं एक-दूसरे के साथ जुड़कर क्लस्टर बना लेती हैं और रक्त वाहिकाओं में आसानी से बह नहीं पातीं। ये क्लस्टर धमनियों और शिराओं में बाधा बन जाते हैं जिसकी वजह से ऑक्सीजन से युक्त रक्त का प्रवाह शरीर में ठीक से नहीं हो पाता। प्रोग्राम समनवयक  प्रमोद गोयल ने बताया कि हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार इस रोग में भारत दूसरे स्थान पर है।  ब्लड ट्रांसफ्यूजन और संतुलित व पौष्टिक खानपान के जरिए मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। साथ ही शादी से पहले भावी पार्टनर जीन टेस्टिंग जरूर कराएं। यदि दोनों में से किसी एक को यह रोग है तो बच्चे में भी होने का खतरा रहता है। यह रोग 50 हजार में से किसी एक को होता है। प्रोग्राम मैं श्कातिशाली महिला संगठन की पूरी टीम,। डॉक्टर निदा खान डॉक्टर l, आशीष व्यास , सुपरवाइजर श्रीमति आशा दुबे, श्रीमती फरीदा खान महिला बाल विकास शक्तिशाली महिला संगठन की पूरी टीम उपस्थित थी।

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