नरवर। " नरवर - इतिहास , विरासत और प्रकृति का संगम" नाम से जल्द ही प्रकाशित की जायगी। पुस्तक के लेखक (धीरज गुप्ता ) ने बताया की नरवर एक अद्भुत सौन्दर्यता की प्राचीन एवं धार्मिक महत्त्व वाली नगरी हैं। जहाँ पर्यटन की असीम सम्भावनायें हैं, जरुरत हैं इनके सही प्रचार एवं प्रसार की। नरवर के राजा नल एवं दमयंती की प्रेम गाथा हमें महाभारत मै भी पड़ने को मिलती हैं, नरवर के ढोला- मारु की प्रेम कथा को राजस्थान के लोक गीतों मै आज भी सुना जा सकता है। नरवर की लोढ़ी माता पुरे देश मै प्रशिद्ध हैं यहाँ प्रतिदनी सैंकड़ों ( कभी हज़ार ) की तादाद मै श्रद्धालु देश के भिन्न भिन्न कोनो से आते हैं और अपनी मुराद पूरी करवाते हैं , नरवर के पास तीन डैम स्थित हैं जो की पर्यटन की सम्भावनाओ को और बल देते हैं नरवर मै कई प्राचीन मंदिर , एवं दिव्य स्थान हैं। दुनिया की भागदौड़ एवं तनाव से मुक्ति के लिए नरवर बेहदशांतिप्रिय एवं उचित स्थल है। पुस्तक मै कई ऐसी जानकारियां हैं जिनसे आमजन अभी अनविज्ञ हैं। पुस्तक मै नरवर के पर्यटन पर खासा जोर दिया है एवं साथ ही पर्यटन कैसे बढे इसका खाका भी पुस्तक मै लेखक ने साझा किया है। लेखक का मानना है पर्यटन बढ़ने से यहाँ रोजगार के बहुत सरे अवसर सृजित होंगे जिसका लाभ आस पास के दर्जनों गाओं एवं शिवपुरी जिले को भी मिलेगा। लेखक का मानना है नरवर - शिवपुरी - करेरा को मिलकर एक पर्यटन हव बनाया जा सकता है जहाँ पर्यटक २-४ दिन दिन अच्छे से व्यतीत कर सकता है और यहाँ से ढेर सॉरी यादें लेकर जा सकता है लेकिन यह सब तभी संभव है जब नरवर का हर युवा , जनप्रतिनिधि , समाजसेवी , व्यापारी , आमनागरिक इसे अपनी जिम्मेदारी समझे।
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