#सावन_आ_गया
लुभाने फिर से हमको वोहि सावन आगया है
ये रिमझिम बूंदे बरसे ,मेरे ऑंगन आगया है
ये बारिश की बेताबियाँ, ये घनगोर घटायें
मिले थे हम कभी फिर वो ही मौसम आ गया है
ये झूले की ही मस्तियाँ, ये मंजर भी सुहाना
बनाया जो आम के पत्तो से तोरण आ गया है
ये कोयल की कुहू कूहू, पपीहा की भी पीहू
मिरा मन याद तुम्हारी ले बागन आ गया है
ये भादों का महीना भी ये मतवाली हवाये
लगे मुझे कहाँ से फिर मेरा साजन आ गया है

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