शिवपुरी। धमाका श्रृंखला अंतर्गत 'बच्चो के लिए शिक्षा कितनी जरूरी' विषय पर हम आपके साथ विचार साझा करते आ रहे हैं। आज इसी कड़ी में हमारा अगला लेख आपके सामने है। बच्चों की पूर्व दिनचर्या रुटीन में लाना जरुरी है
सुबह सुबह जल्दी सोकर उठना, दौड़कर नहाना-धोना फिर
ड्रेस पहनकर स्कूल के लिये तैयार होगा | जल्दी-जल्दी नाश्ता
करना और बैग, टिफिन- वोटल लेकर घर के गेट पर भाग कर खड़े हो जाना, फिर स्कूल बस का हॉर्न सुनकर कभी सैनिक की तरह तनकर बैग टांगकर खड़ा हो जाना तो कभी मन न होते हुए भी उदासी भरा मन लेकर बस मे बैठ जाना | सूकूल की घण्टी सुनकर सहपाठियों के साथ लाइन बनाकर क्लास में चल देना, क्लास में शैतानी पर टीचर की डांट, होमवर्क का तनाव, रात में फिर जल्दी सोने के लिये मम्मी की डांट खाना, क्या क्या नहीं खत्म हो गया है।
जी हाँ ! मै बात कर रहा हूं हमारे नन्ने -मुन्ने बच्चों की दिनचर्या की। आज ढेड़ वर्ष से अधिक समय बीत गया है और कोरोना के चलते अभी भी मिडिल क्लास तक स्कूल बंद हैं। परंतु अब जब कोरोना की संक्रमणता काफी कम हो गई है तो ऐसे में तुरंत छोटे बच्चों के स्कूल खोल देना चाहिए क्योंकि ICMR सहित सभी वरिष्ठ वैज्ञानिकों - डॉक्टरों द्वारा की गई रिसर्च में भी ये साबित हो गया है कि 15 वर्ष तक के बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले काफी ज्यादा बेहतर है। बच्चों की रूटीन लाइफ वापिस लाना जरूरी है जो स्कूलिंग के बिना अधूरी है क्योंकि स्कूल से ही बच्चों काबचपन संवरता है। उनकी दोस्ती दुश्मनी प्यार, खेल भावना, संस्कार स्कूल से ही तय होते हैं । मेरा मानना है अब पालकों को अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये स्कूल खोलने का समर्थन करना चाहिये और स्कूल के साथ खड़ा होना चाहिए क्योंकि अब और अधिक समय तक स्कूल नही खुलते हैं तो बच्चों का बचपन बिना अच्छी स्कूल परवरिश के खत्म हो जायेगा और इसके बाद उसके जीवन मे इन दो वर्षों का जो खालीपन आयेगा उसे पाठना
अभिभावक ही नहीं सरकार को भी मुश्किल हो जाएगा।

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