यह बहन बेटियों की हिफाजत का प्रण लेने का दिन है
- राघवेंद्र शर्मा, बाल संरक्षण अधिकारी
शिवपुरी। रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी के कच्चे धागे को बांधकर अपनी सुरक्षा की प्रतिबद्धता का पक्का वचन लेती है। रक्षाबंधन कर्तव्यों की याद दिलाने वाला त्यौहार है। यह बहन बेटियों की हिफाज़त का प्रण लेने का दिन है। रक्षाबंधन भाई बहन के पारस्परिक प्रेम,स्नेह एवं विश्वास का त्यौहार है। यह पर्व कर्तव्य, आत्मीयता, त्याग, सामाजिक एकता व सद्भाव की भावना का प्रतीक है। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह बहनों की रक्षा के बचन बंधन में अपने मन-वाणी एवं कर्म तीनों को बांधे जब तक तीनों में एकरूपता नही होगी त्यौहार का कोई मतलब नही। त्यौहार हमें प्रत्येक बहन बेटी की हिफाजत करने को प्रतिबद्ध करता है। हमारी संस्कृति हमें ' जननी सम जानें पर नारी ' पथ पर चलने का संदेश देती है। संसार में भाई बहन का रिस्ता पवित्र,त्याग एवं समर्पण का रिस्ता होता है। हर बहन मुशीबत में अपने भाई से मदद की आशा रखती है। यही कारण होता है कि वह अपने विस्वास की मजबूती को कायम रखने के लिए रक्षाबंधन के दिन भाई से अपनी रक्षण- संरक्षण की प्रतिबद्धता का प्रण लेने को प्रेरित करती है।
मेरी बहन- तेरी बहन नहीं, हर बेटी को मां, बहन और बेटी का स्वरूप मानकर उनकी हिफाजत करने का संकल्प हमें लेना होगा। जब तक हम अपनी सोच को नहीं बदलेंगे। मेरी- तेरी के माया जाल से बाहर नहीं निकलेंगे,तब तक बेटियों के साथ होतीं बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग सकता। रिश्तों और त्योहारों की मर्यादाओं को बनाए रखने के लिए हमें बेटियों को बहन की प्रतिमूर्ति मानकर उन्हें खुला- आजाद माहौल दिलाना होगा। बहनों की सुरक्षा के लिए हमें तत्परतापूर्वक काम करना होगा तभी हमारे त्योहार को मनाने के उद्देश्य पूर्ण होंगे।

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