शिवपुरी। नगर में 19 अगस्त को प्रोफेसर डॉ. चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें पीएससी के पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार पाण्डेय को सम्मानित किया गया। कलेक्टर अक्षय सिंह, एसपी राजेश सिंह चन्देल कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस अवसर पर सम्मानित किए जाने के उपरांत पीएससी के पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार पाण्डेय ने कहा कि प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार विद्वता के शिखर पर तो थे ही लेकिन साथ ही उनका आचरण और कृतित्व बड़ा शुद्ध और प्रामाणिक था. विचारों और आचरण में समरूपता होने की वजह से समाज में असीम आदर और श्रद्धा का स्थान उन्हें प्राप्त हुआ. उन्होंने कहा कि हमारे यहां शिक्षकों में ऋषियों के दर्शन की परंपरा रही है. जब हम उस कसौटी पर प्रोफेसर सिकरवार का मूल्यांकन करते हैं तो वे 24 कैरेट के खरे उतरते हैं.
जो जमाने के लिए जीता है, उसी को सदैव याद किया जाता है - कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात का हमेशा रंज रहेगा कि वे अपने जीवन में प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार से कभी सीधे संपर्क में नहीं रह सके पर उनके बारे में इस जिले में जितना भी सुना है उससे महसूस होता है कि जो जमाने के लिए जीता है, उसे सदैव याद किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय की सबसे बड़ी बिडम्बना यह है कि हम विवेकानंद और गांधी को तो मानते हैं, लेकिन विवेकानंद और गाँधी की नहीं मानते. यह दोहरा चरित्र हमें छोड़ना होगा, तभी हम सच्चे मन से प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के शिष्य कहला सकेंगें.
महापुरुषों के जीवन से सदैव पॉजिटिव वाइब्रेशन मिलती है: राजेश सिंह चंदेल, एसपी
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसपी राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि महापुरुषों के जीवन से सदैव पॉजिटिव वाइब्रेशन मिलती है. उन्होंने कहा कि प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार से वे कभी मिल न सके इसे वे अपना दुर्भाग्य मानते हैं.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईटीबीपी के डीआईजी रघुवीर सिंह वत्स ने प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार को शाब्दिक स्मृत्यान्जलि अर्पित की और कहा कि अपने गुरु की स्मृतियां विद्यार्थियों को जीवन पर्यंत याद रहती हैं और जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करती हैं.
पीएससी ऑफिस के जिस कमरे में बैठकर सिविल जज का इंटरव्यू दिया, बाद में उसी कमरे में पीएससी अध्यक्ष के रूप में वर्षों बैठे अशोक कुमार पाण्डेय
जिस जेल में आपातकाल में 11 महीने बंद रहे उसी जेल का मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में निरीक्षण किया।
डॉ. चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह परिणय वाटिका में सम्पन्न हुआ. वर्ष 2021 का डॉ. चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान इस बार पीएससी के पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार पाण्डेय को उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण भाव से देश और समाज की सेवा के लिए प्रदान किया गया. गौरतलब है कि अशोक कुमार पाण्डेय 1971 से 1987 तक स्कूल एजुकेशन में शिक्षक के रूप में शिवपुरी में पदस्थ रहे थे. इसी बीच 1975 से 1977 तक एमरजेंसी के दौर में 19 महीने शिवपुरी और ग्वालियर जेल में रहे. एमरजेंसी के दौर का कष्ट और संत्रास लोकतंत्र रक्षक सेनानी के नाते लोकतांत्रिक मूल्यों के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने सहा. 1988 से 2009 तक प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में न्यायाधीश के रूप में वे पदस्थ रहे. 2009 से 2011 तक मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे. 2011 से 2015 तक मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद का निर्वहन उन्होंने किया. अशोक कुमार पाण्डेय का जीवन संघर्ष, त्रासदी और विजय की एक रोमांचक कहानी रहा है. 25 जून 1975 को देश में एमरजेंसी की घोषणा होने के बाद 18 अगस्त 1975 को एलएलबी की परीक्षा देने के बाद कॉलेज से ही पुलिस ने उन्हें अरेस्ट किया था. शिवपुरी जेल में 07 महीने रहे. एलएलबी के शेष पेपर शिवपुरी जेल में जेलर के कक्ष में बैठकर उन्होंने दिए थे. 11 महीने ग्वालियर जेल में गुजारे. बाद में जब वक़्त ने करवट बदली तो एक दिन वो भी आया जब उसी ग्वालियर जेल में जहाँ एमरजेंसी के दौर में 11 महीनों का कष्टपूर्ण जीवन जिया था मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में ग्वालियर की उस जेल का जब उन्होंने निरीक्षण किया तो केंद्रीय जेल के अधीक्षक ने जेल के मुख्य द्वार पर अगवानी की और उनका सम्मान किया गया. पीएससी की जिस परीक्षा को पास कर अशोक कुमार पाण्डेय न्यायाधीश बने उस परीक्षा को देने के लिए आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण ट्रक में बैठकर इंदौर जाना पड़ा था. पीएससी के जिस कमरे में बैठकर पीएससी का इंटरव्यू दिया था, बाद में उसी कमरे में वर्षों पीएससी के चैयरमेन के रूप में बैठने का अवसर अशोक कुमार पाण्डेय को प्राप्त हुआ. यह उनके कठिन जीवन की साधना और तपस्या का प्रतिफल था.
कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के जीवन-वृत को व्याख्याता केशव शर्मा ने रेखांकित किया. कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ. आर.आर. धाकड़ ने दिया. कार्यक्रम के संचालन की कमान प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने संभाली. आभार व्याख्याता भरत भार्गव ने व्यक्त किया. अरविंद सिकरवार रक्षित निरीक्षक ने प्रोफेसर सिकरवार की जीवन-यात्रा पर आधारित स्वरचित गीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. पूर्व विधायक प्रहलाद भारती आयोजन समिति के संरक्षक के रूप में मंचासीन रहे एवं अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये.

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