अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद वहां फंसे भारतीयों को बड़ी राहत मिली है। काबुल एयरपोर्ट से कॉमर्शियल फ्लाइट्स बंद हैं और इस बीच भारतीय दूतावास के स्टाफ और देश के अन्य लोगों को लाने के लिए एयरफोर्स का विमान काबुल पहुंचा है। अफगानिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद नागरिक विमानों के लिए बंद कर दिया है, लेकिन मिलिट्री विमानों के जरिए अब भी लोगों को निकाला जा रहा है। इसी के तहत भारतीय वायुसेना का विमान सोमवार को दोपहर काबुल पहुंचा। अमेरिकी सैनिकों की ओर से कई देशों के नागरिकों को अफगानिस्तान से वापस निकलने में मदद की जा रही है। काबुल पहुंचा भारतीय वायुसेना का विमान पाकिस्तानी एयरस्पेस से नहीं गुजरा बल्कि ईरान के रास्ते से काबुल पहुंचा। एक महीने पहले जब भारतीय वायुसेना का विमान कंधार स्थित भारतीय कौंसुलेट से अधिकारियों को लेकर आ रहा था तो पाकिस्तान ने फ्लाइट को अपने एयरस्पेस से गुजरने की अनुमति नहीं दी थी। काबुल एयरपोर्ट पर भारी भीड़ जमा हो गई है और अफरातफरी का माहौल है। तमाम विदेशी नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या में ऐसे अफगान भी हैं, जो अपने ही वतन को छोड़कर निकल जाना चाहते हैं। यहां तक कि एयरपोर्ट पर फायरिंग भी हुई और इसमें 5 लोगों के मरने की खबर है।
चीन ने बढ़ाया तालिबान से दोस्ती का हाथ
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अमेरिका समेत ज्यादातर देशों ने अपनी सेनाओं और अधिकारियों को वापस बुला लिया लेकिन चीन न सिर्फ वहां डटा है बल्कि उसने अपनी मंशा भी साफ कर दी है। चीन की प्रवक्ता ने साफ कहा है कि देश अफगानिस्तान के साथ ‘दोस्ताना और सहयोगपूर्ण’ संबंध गहराने के लिए तैयार है। अपने देश में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के आरोप झेल रहे चीन के इस बयान से सवाल उठने लगे हैं कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन को आखिर ड्रैगन क्यों समर्थन दे रहा है? चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग का कहना है कि तालिबान ने बार-बार चीन के साथ अच्छे संबंध विकसित करने की इच्छा जाहिर की है और वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास में चीन की भागेदारी का इंतजार कर रहे हैं। हुआ का कहना है, ‘हम इसका स्वागत करते हैं। चीन अफगान के लोगों के अपनी किस्मत तय करने के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ मिलकर दोस्ताना और सहयोगी संबंधों का विकास करना चाहता है।’ हुआ ने तालिबान से शांतिपूर्ण हस्तांतरण की अपील की और एक समावेशी इस्लामिक सरकार स्थापित करने का वादे निभाने को कहा। हुआ ने साफ किया है कि चीन का काबुल स्थित दूतावास ऑपरेशनल है। हालांकि, खराब होती सुरक्षा व्यवस्था के बीच चीन यहां से कई महीनों से अपने लोगों को निकाल रहा है। सोमावर को भी दूतावास ने अपने लोगों से अंदर रहने को कहा और स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है।
आखिर चीन की मंशा क्या
चीन में पिछले महीने सरकारी मीडिया ने कुछ तस्वीरें जारी की थीं जिसमें विदेश मंत्री वांग यी को तालिबान के अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े देखा जा सकता था। दरअसल, माना जा रहा है कि चीन अपने देश में उइगर मुस्लिमों के अलगाववादी आंदोलन के खतरे को देखते हुए यह नहीं चाहता था कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक वांग ने तालिबान के साथ मुलाकात में भी यह वादा भी लिया है। इसके बदले में चीन अफगानिस्तान को आर्थिक विकास में मदद करेगा।

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