शिवपुरी। नगर के हर हिस्से में विचरण करते हजारों सुअर, सड़कों मोहल्लों की सड़कों पर बैठी गाय, बेल और आवारा कुत्तों का आतंक किसी से छुपा नहीं है। इन्हें कोई शूट आउट न करे लेकिन नियंत्रित तो किया ही जा सकता है। पकड़कर दीगर जगहों पर छोड़ा जा सकता है लेकिन बहानेबाजी की खान बन चुकी नगर पालिका हाथ पर हाथ धरे बैठी है या ऐसे समझिये की जो नुमाइंदे नगर पालिका के सफाई कर्मी हैं उन्ही ने हजारों सुअर पाल रखे हैं और व्यवसाय कर नगर को नरक बना दिया है। आज इन्ही तीनो अहम परेशानियों को लेकर नगर के जागरूक वरिष्ठ वकील विजय तिवारी ने नगर पालिका प्रशासक की हैसियत से कलेक्टर अक्षय सिंह और नवागत सीएमओ शैलेश अवस्थी को राडार पर लेते हुए
एक वैधानिक सूचना पत्र धारा 133 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत भेजा है। नगर पालिका प्रशासन कलेक्टर अक्षय सिंह और सीएमओ शैलेश अवस्थी को यह नोटिस थमाया गया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि वे शहर के प्रतिष्ठित नागरिक और वकील हैं। पूर्व में व्यापक लोकहित में कई मुद्दों से संबंधित शिकायत को लेकर जनहित याचिका लगा चुके हैं। इनमें से कुछ का निराकरण हो गया, कुछ अभी भी विचाराधीन है। उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उनमें पहला मसला आवारा पशुओं का उठाया है। उन्होंने लिखा है कि शिवपुरी शहर इन दिनों आवारा पशुओं का गढ़ बन गया है। शहर की हर गली, हर मोहल्ले, पार्क इन आवारा पशुओं जिनमें गाय कुत्ते और सूअर शामिल हैं इनका जमावड़ा हो गया है। आए दिन इन आवारा जानवरों द्वारा आम नागरिकों को चोट पहुंचाने की खबरें प्रकाशित होती रहती है किंतु इन आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए आप लोगों ने कोई सार्थक प्रयास नहीं किया है।
अगले बिंदु में उन्होंने उदाहरण के तौर पर लिखा है कि वार्ड क्रमांक 2 के शक्तिपुरम खुड़ा वीटीपी स्कूल के समीप और एमिनेंट स्कूल के पास खाली प्लॉट में करीब डेढ़ सौ सूअर एक साथ देखे जा सकते हैं जो वहां के लोगों को चोट पहुंचाते हैं और घर में घुस जाते हैं उन पर आक्रमण कर चोटिल कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त समस्त सूअर शिवपुरी शहर के बाल्मीकि समाज के व्यक्तियों द्वारा पाले जाते हैं तथा उक्त सूअरों को शहर में खुलेआम छोड़ दिया जाता है जिससे आम जनता को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि पूर्व में सूअरों को मारने के लिए नगर पालिका परिषद द्वारा निविदा आमंत्रित की गई थी किंतु उक्त निविदा पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई है।माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उक्त निविदा प्रक्रिया को स्थगित किया गया है लेकिन सूअरों को पकड़ने पर कोई रोक ना लगी होने के बावजूद नगर पालिका प्रशासन इस ओर पूर्णतया उदासीन बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि आप लोगों का तो सूअर पालन एवं गोवंश चालकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई कर रहे हैं और ना ही शेयर को आवारा पशुओं से मुक्त कराने के संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं जबकि पूर्व में सुअर पालकों के विरुद्ध नगर पालिका शिवपुरी द्वारा विभिन्न थानों में जब प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी तब आपराधिक प्रकरण दर्ज होने से सूअर पालन में कमी आई थी और शिवपुरी शहर लगभग सुआर मुक्त हो गया था लेकिन यह प्रक्रिया की सतत मॉनिटरिंग नहीं की गई तो सूअर पालकों के मन का भय दूर हो गया सूअर पालकों के व्यवसाय की क्षति शहर को उठानी पड़ रही है अगले बिंदु में उन्होंने लिखा है कि शासन के आदेश के अनुक्रम में गौशाला का संचालन नगर पालिका परिषद शिवपुरी द्वारा किया जा रहा है तथा आवारा गोवंश को पकड़ कर उक्त गौशाला में रखा जाता है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त गौशाला का संचालन मात्र कागजों में किया जा रहा है। नगर पालिका परिषद के संपूर्ण क्षेत्र में आवारा पशु सड़कों पर विचरण करते हुए और बैठे हुए देखे जा सकते हैं। यह आवारा पशुओं के कारण सड़कों पर आए दिन दुर्घटना घटित होती रहती हैं लेकिन आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर पालिका द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे। इसी तरह से शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बना हुआ है इनके द्वारा लोगों को काटे जाने के समाचार हर दिन सामने आते हैं लेकिन इस पर भी कोई उन्होंने कहा कि इसके संबंध में, मैं पहले भी आपको पत्र लिख चुका हूं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि शिवपुरी शहर की आबादी के लगभग बराबरी पर नगर पालिका क्षेत्र में स्वरों की संख्या पहुंच गई है। यह की वैधानिक सूचना पत्र में उल्लेखित समस्त तथ्य व्यापक लोकहित से जुड़े मुद्दे हैं आवारा कुत्तों सूअरों एवं आवारा पशुओं को पकड़ने और उनका विस्थापन करने की संपूर्ण जवाबदेही नगर पालिका प्रशासन की है जिसमें आप पूर्ण पहने सफल हुए हैं। अवैधानिक सूचना पत्र प्रेषित कर आप सूचित करो को निर्देशित किया जाता है कि नोटिस होते ही तत्काल आवारा कुत्ते सूअरों एवं आवारा पशुओं को पकड़ने एवं उनके विस्थापन की कार्रवाई करेंगे अन्यथा उक्त संबंध में उच्चतम न्यायालय में कार्रवाई करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा। जिसके समस्त खर्चे की जवाबदारी सूचित गण की होगी।

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