दिल्ली। तकनीक जिस तरह से तरक्की कर रही है उसी तरह दुनियाभर में साइबर ठगी के मामलें बढ़ रहे हैं। भारत में डेबिड और क्रेडिट कार्ड से होने वाली ठगी को रोकने के लिए बैंक और पेमेंट गेटवे कंपनियां ऑनलाइन भुगतान के तरीके को बदलने जा रही है। अब ऑनलाइन पेमेंट के लिए सिर्फ ओटीपी की ही जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि इसके लिए कार्ड का पूरा नंबर फिल करना होगा। जिसके बाद ही भुगतान हो सकेंगा। अभी तक ओटीपी और कार्ड के पीछे लिखे सीवीवी नंबर से ही ऑनलाइन भुगतान हो जाता है, लेकिन जनवरी 2022 से यह नियम बदले जा सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए बढ़ती धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों और पेमेंट गेटवे कंपनियों को सुरक्षा पुख्ता करने का निर्देश दिया है। इसके बाद पेमेंट गेटवे कंपनी न तो ग्राहको का कार्ड नंबर सेव कर पाएंगी और न ही सीवीवी नंबर का रिकार्ड रख सकेगी। आरबीआई द्वारा ऐसा इसलिए किया जा रहा है ऑनलाइन पेमेंट के बाद ग्राहको की सारी जानकारी कंपनियों के पास सेव हो जाती है, जिसे साइबर ठग उड़ा लेते है। यह व्यवस्था आरबीआई की सीधी निगरानी में नहीं आती, इसलिए हर समय फ्रॉड का खतरा बना रहता है।
तीन सालों में दोगुने हुए ऑनलाइन फ्रॉड
आरबीआई और इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम के डाटा के मुताबिक पिछले कुछ सालों में साइबर फ्रॉड के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में 1.60 लाख साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट दर्ज हुई। 2019 में यह सख्या 2.5 लाख पहुंच गई, जबकि 2020 में साइबर ठगी के मामलों की सख्या करीब 3 लाख के आसपास पहुंच गई। इसी के चलते आरबीआई ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जालसाजी को रोकने के लिए बैंकों और पेमेंट गेटवे कंपनियों को निर्देश दिये है।

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