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बड़ा धमाका: 'परिवहन विभाग की स्मार्टचिप लिमिटेड हाइकोर्ट में सेनेटाइजेसन सामग्री के लिए देगी 25000 रुपये'

गुरुवार, 23 सितंबर 2021

/ by Vipin Shukla Mama
जनहित याचिका का मामला
- ग्वालियर हाइकोर्ट की डबल बेंच ने जबाब देने में देरी करने पर लगाई कॉस्ट
- शिवपुरी निवासी युवा पत्रकार विजय शर्मा ने लगाई है जनहित याचिका 
ग्वालियर। हाइकोर्ट ग्वालियर की युगलपीठ ने गत रोज एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए तय समय में जबाब न् देने पर परिवहन विभाग में  स्मार्ट कार्ड ओर ऑनलाइन सर्विस देने वाली कंपनी स्मार्टचिप लिमिटेड पर 25000 की कॉस्ट लगा दी। हाइकोर्ट की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अंतिम मौका निकल जाने के बाद कंपनी अपना जबाब फ़ाइल कर रही है इसके लिए 25000 कॉस्ट जमा करनी होगी जो लीगल एड सेक्शन  को दी जाएगी जिसका उपयोग कोर्ट को सेनेटाइज करने में किया जायेगा एवम कोर्ट को संक्रमण से मुक्त करने के लिए अन्य सामग्री को खरीदने में व्यय किया जाएगा। शिवपुरी के युवा पत्रकार विजय शर्मा द्वारा परिवहन विभाग में स्मार्टकार्ड बनाने और ऑनलाइन सेवाएं देने वाली कंपनी के खिलाफ एक जनहित याचिका हाइकोर्ट  अधिवक्ता सुनील कुमार जैन के माध्यम से दायर की थी जिसमे विजय शर्मा ने कहा था कि परिवहन विभाग में ऑनलाइन सेवाएं देने स्मार्टचिप लिमिटिड अपनी अनुवंध अवधि पूर्ण होने के बाद भी काम कर रही है एवं ऑनलाइन सेवायों के एवज में जनता से करोड़ो रूपये वसूल कर रही है। जो कि गलत है एवं परिवहन विभाग मध्यप्रदेश द्वारा ऑनलाइन सेवायों का कार्य सरकारी संस्था "एनआईसी" को न देकर प्राइवेट कंपनी स्मार्टचिप लिमिटेड से कराया जा रहा है जबकि एनआईसी देश के 33 राज्यो में यही सेवाएं मुफ्त में प्रदान कर रही है जानकारी के लिए बता दे कि स्मार्टचिप लिमिटिड परिवहन विभाग में ऑनलाइन सेवायों के लिए जनता से सर्विस चार्ज 74 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन वसूल करती है ।
विजय शर्मा की जनहित याचिका पर हाइकोर्ट की युगल पीठ ने मप्र  शासन , परिवहन विभाग , वित्त विभाग ओर स्मार्टचिप लिमिटिड को नोटिस जारी कर जबाब मांगा था जिस पर मध्यप्रदेश शासन , परिवहन विभाग ओर वित्त विभाग ने अपना जबाब प्रस्तुत कर दिया था लेकिन स्मार्टचिप लिमिटिड ने अपना जबाब प्रस्तुत नही किया था जनवरी 2021 को हुई सुनवाई में स्मार्टचिप को जबाब प्रस्तुत करने के लिए अंतिम अवसर दिया गया था उसके बाद भी स्मार्टचिप ने जबाब नही दिया था । सितम्बर 2021 को हुई सुनवाई के दौरान स्मार्टचिप की ओर से जबाब प्रस्तुत किया गया जिसे मान्य करने के लिए हाइकोर्ट की युगलपीठ ने कंपनी पर 25000 की कॉस्ट लगाई है।

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