भोपाल: 31 अक्टूबर। चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भोपाल के लेकव्यू अशोक होटल में सम्पन्न हुई।बैठक में 20 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है।बैठक में पांच सत्र में जुबेनाइल जस्टिस एक्ट की कार्यविधि पर विस्तार से चर्चा की गई।बैठक के प्रथम सत्र का शुभारंभ भोपाल डीआईजी इरशाद वली एवं फाउंडेशन के सचिव डॉ राघवेंद्र शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।डीआईजी श्री वली ने अपने उदबोधन में कहा कि समाज में अपचारी बालकों के साथ नशे का युग्म सीधा जुड़ा हुआ है।समाज में अगली बड़ी चुनौती बच्चों को नशे की त्रासदी से बचाने की है।श्री वली ने कहा कि सीसीएफ जैसे संगठन को जमीन पर बचपन के इस भटकाव को बचाने में सरकार,समाज के साथ काम करना चाहिए।
द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्री ओपी श्रीवास्तव ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि बालकों के क्षेत्र में कार्य करने का मामला बेहद ही संवेदनशील विषय है।इसलिए बच्चों के सरंक्षण के लिए काम करने वाले व्यक्ति एवं संस्थान को अतिशय पवित्र भावना के साथ काम करने की आवश्यकता है।
तीसरे सत्र को संबोधित करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान के अतिरिक्त सीईओ पवन शर्मा ने कहा कि देश भर में मैदानी काम करने के साथ साथ सामाजिक संस्थाओं को समानान्तर रूप से शोध कार्य करते रहना चाहिये।श्री शर्मा ने कहा कि योजनाओं की जमीनी हकीकत को समझने के मामले में सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं।इसलिए सीसीएफ जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं को जेजे एक्ट के क्रियान्वयन के साथ प्रामाणिक रिसर्च को भी सुनिश्चित करें ताकि सरकार के कल्याणकारी एजेंडे को समावेशी धरातल पर उतारा जा सके।
मप्र बाल आयोग के सदस्य द्रविन्दर मोरे ने कहा कि देश के हर जिले में ऐसे समविचारी लोगों का नीति निर्माण में योगदान सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
महिला बाल विकास के संयुक्त संचालक विशाल नाडकर्णी ने इस बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सीसीएफ ने अपनी स्थापना के उद्देश्यों के साथ पूरी प्रामणिकता से न्याय करने की कोशिश की है।उन्होंने बताया कि प्रदेश के नवचयनित सीडब्ल्यूसी-जेजेबी सदस्यों के उन्मुखीकरण में सीसीएफ जैसे संगठनों की मदद ली जायेगी।उन्होंने बताया कि मप्र की कोविड बाल योजना देश भर में अनूठी है।
फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के लिए काम करने का अवसर हर किसी को नही मिलती है क्योंकि यह ईश्वर की सेवातुल्य कार्य है।उन्होंने कहा कि बाल सरंक्षण के कार्य में संलग्न सभी जवाबदेह लोगों को यह समझना चाहिए कि वे देश के भविष्य के निर्माण में अपना योगदान दे रहे है।डॉ शर्मा ने कहा कि चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन सरकार और समाज की खामियों को लेकर किसी एक्टिविज्म के परंपरागत तौर तरीके के उलट उपलब्ध परिस्थितियों में सकारात्मक वातावरण का पक्षधर है।
बैठक में दिल्ली चैप्टर से सुश्री वधुन्धरा सचदेवा,राजस्थान से दया गर्ग,हरियाणा से अभय खुरानिया,मप्र से राजेश शुक्ला,यूपी से अमित उपाध्याय,सहित गुजरात, बिहार,छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के चैप्टर प्रभारियों ने अपने कार्य प्रतिवेदन प्रस्तुत किये।बैठक के समापन सत्र में फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने विस्तार से भविष्य की कार्यनीति पर प्रकाश डाला।

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