शिवपुरी। नगर में सिद्धि विनायक अस्पताल का भ्रूण कांड क्या सामने आया स्वास्थ्य महकमा हरकत में है। मौका और दस्तूर यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग की कमान नए हाथों में पहुंची सो मुस्तेदी दिखाई भी देना चाहिये। यही कारण है कि इन दिनों सोनोग्राफी सेंटर निशाने पर आ गए हैं। बीते रोज एक सेंटर के निलंबन और दो के स्थगन के बाद अब 4 सोनोग्राफी सेंटर निशाने पर हैं। जिनकी 3 दिन के अंदर जांच गठित टीम को कर के देनी है। इनमें जो सेंटर शामिल हैं उनमें शिवा इमेजिंग सेंटर, दिव्यांशी डायग्नोस्टिक सेंटर, साईं डायग्नोस्टिक एवम सर्जिकल सेंटर एवम एडवांस इमेजिंग सेंटर की पड़ताल होगी। जो टीम यहां जाएगी उसमें डॉक्टर संजय ऋषिवर, डॉक्टर एमएल अग्रवाल, आलोक एम इंदौरिया, स्वेता गंगवाल, राजेन्द्र राठौर एवम एडवोकेट संजीव बिलगइयाँ के नाम शामिल हैं।
कमी मिल रही तो दोषी सेंटर ही क्यों ? पुराने अधिकारी क्यों नहीं ?
बीते रोज जिन सेंटरों की पड़ताल हुई। निलंबित तक किया गया या 2 को स्थगित किया। क्या इतना ही पर्याप्त है भला वो अधिकारी कर्मचारी दोषी नहीं हैं जिन्होंने इन मशीनों की समय समय पर पड़ताल की और ओके रिपोर्ट दी जाती रही। खास बात यह है कि हर महीने सोनोग्राफी सेंटरों को जांच कर ओके रिपोर्ट दी जाती है तभी वे आगे काम कर सकती हैं। तो क्या यह माना जाए कि पूर्व के अधिकारियों ने इनकी कमी को अनदेखा किया था ? या मेहरबानी रही और काम चलता रहा! साफ है कि जितनी भूल सेंटरों की है उतने ही दोषी पुराने अधिकारी जान पड़ते हैं उन्हें भी जांच के दायरे में लाने की कलेक्टर अक्षय सिंह से जनता मांग कर रही है।

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