विपिन शुक्ला
शिवपुरी। 'अपने लिए जिये तो क्या जिये ए दिल तू जी जमाने के लिये....' किसी गाने की यह पंक्तियां इस अंचल की ममतामयी प्रतिमूर्ति और दैदीप्यमान नक्षत्र राजमाता विजयाराजे सिंधिया पर एकदम सटीक बैठती हैं, जिन्होंने सारा जीवन लोगों और भारतीय जनता पार्टी के लिये न्यौछावर किया। राजनीति को महज सेवा का माध्यम मानते हुए उन्होंने राजनीति किसी भी पार्टी से शुरू की हो लेकिन कद्दावर कहे जाने वाले सीएम डीपी मिश्रा की सरकार गिराने के साथ ही देश की राजनीति के आकाश पर अम्मा महाराज यानि राजमाता विजयाराजे सिंधिया का नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हो गया था। आज विश्व भर में जानी जा रही भारतीय जनता पार्टी के लिये यूं तो कई नेताओं ने बहुत कुछ किया लेकिन मध्यप्रदेश की बात आती है तो सिर्फ एक ही तस्वीर आखों से हटती नहीं और वह है अम्मा महाराज की। उन्होंने धन, समय, प्लानिंग से लेकर एक एक मोती को एकत्र कर भारतीय जनता पार्टी की माला तैयार की। बात शिवपुरी की करें तो मुझे याद है चन्द कार्यकर्ताओ के साथ भारतीय जनता पार्टी खड़ी नजर आती थी, तब अम्मा महाराज की दूरदर्शिता, सभी को एक साथ जोड़कर पार्टी के लिये रात दिन एक किया और तस्वीर बदलकर रख दी।बुलन्द इरादे और जायज बात पर हठीले अंदाज की अम्मा महाराज ने कभी पद का मोह नहीं पाला। 1967 से कई बार कुर्सी उन्हें पुकारती रही लेकिन न तो आप कभी बीजेपी की शीर्ष कुर्सी पर विराजीं और न ही इस प्रदेश के सीएम की कुर्सी पर। उन्हें इसीलिये शायद त्याग की प्रतिमूर्ति कहा जाता है।अपनों का ख्याल किसी परिवार के सदस्य की तरह रखना भी उन्हें खूब आता था यही खास बात है कि अंचल में आज भी उन्हें दिल से प्यार करने वालों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने सदैव दूसरों को आगे बढ़ाने में यकीन किया। अनेक वरिष्ठ नेता इस अंचल को ही नहीं बल्कि राष्ट्र को उन्हीं की देन हैं। इन्हीं सारी बातों के चलते उनका नजरिया सदैव एक ही रहा 'अपने लिए जिये तो क्या जिये.....' आज भले ही अम्मा महाराज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब लोग उन्हें याद न करते हों। धमाका टीम की तरफ से भी उन्हें सादर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
आज भी वही सफर जारी
चलते चलते एक बात और कहनी है कि अम्मा महाराज की ही तरह उन्हीं की तर्ज पर उनकी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया और मध्यप्रदेश की कद्दावर मंत्री यशोधराराजे सिंधिया ही नहीं बल्कि उनके पोते केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उन्हीं की तरह जनसेवा की भावना से राजनीति करते नजर आते हैं। इसलिए भी हम कभी अम्मा महाराज को भुला नहीं सकेंगे।

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