शिवपुरी। जिले की पोहरी विस अन्तर्गत बैराड़ तहसील के ग्राम भौराना में पदस्थ एक पटवारी ने साल 2009 में कूट रचित दस्तावेज से 3 करोड़ रुपए कीमत की करीब 10 हेक्टेयर शासकीय भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में पत्नी के नाम दर्ज कर डाली। जिसकी शिकायत पचीपुरा निवासी एक शख्स ने एसडीएम कोर्ट में की थी। इसी प्रकरण में सुनवाई करते हुए पोहरी एसडीएम राजन वी नाडिया ने आदेश पारित कर उक्त भूमि को पुनः शासकीय घोषित कर दिया है। मामले में पटवारी के खिलाफ प्रथक से कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं। यह सनसनीखेज मामला जिले भर में चर्चा का विषय बन गया है। बता दें कि तत्कालीन पटवारी जगदीश श्रीवास्तव ने नौकरी में रहते हुए बैराड़ तहसील के भोराना में बंदोबस्ती दुरुस्ती की आड़ में फर्जी आदेश से 10 बीघा जमीन अपनी पत्नी व बच्चों के नाम रिकॉर्ड में दर्ज कर ली थी करीब 13 साल से उस जमीन पर खेती बाड़ी कर रहा है। जब इस मामले की शिकायत एक व्यक्ति ने एडीएम राजन भी नाडिया के समक्ष की तो उन्होंने जांच करवाई जिसमें यह मामला सच पाया गया। आवेदक रघुवर पुत्र अंताबड़ा निवासी पचीपुरा ने एसडीएम कार्यालय में तत्कालीन हल्का पटवारी जगदीश श्रीवास्तव के खिलाफ शिकायत की थी। रिटायर्ड पटवारी जगदीश ने ग्राम भोराना में चरनोई की भूमि सर्वे नंबर 41 रकबा 1.44 हेक्टेयर स्थित कूट रचना
करके रिकॉर्ड में बेशकीमती जमीन अपनी पत्नी के नाम दर्ज कर ली जबकि सर्वे क्रमांक 41 रकवा 8.44 हेक्टेयर अधिकार अभिलेख वर्ष उन्नीस सौ सतासी अठासी में शासकीय चरणों में अंकित है इसी तरह 45 रखवा 4.30 हेक्टेयर शासकीय तथा 91/5515 रकवा 10.05 चमड़ा निकालने का स्थान शासकीय दर्ज है। सर्वे क्रमांक 41, 45, 91/515 का निर्माण बंदोबस्त पूर्व सर्वे नंबर 38 से हुआ है। सर्वे क्रमांक 43/6 रकबा 1.58 हेक्टेयर राजस्व अभिलेख में अंकित है लेकिन नक्शे में रखवा बरारी से 0.57 हैक्टर रकवा आता है जिसकी पूर्ति के लिए सर्वे नंबर 41 के 41/2 रकबा 1.01 हेक्टेयर से पूर्ति होती है।
पत्नी के बाद बच्चों के नाम कर दी जमीन
बंदोबस्त भूल सुधार के नाम पर पटवारी ने अपनी पत्नी मुन्नी उर्फ उर्मिला पुत्री जानकीलाल कायस्थ निवासी भदेरा कॉलोनी के नाम से जमीन दर्ज कर ली थी जिसके बाद पर जमीन 6 बेटे और बेटियों के नाम दर्ज करा लिए। बंदोबस्त भूल सुधार का आदेश 17 जुलाई 2009 का है जबकि इससे पहले उक्त जमीन सरकारी थी।
जांच कराने पर इस बात का खुलासा हुआ और एसडीएम ने जमीन को फिर से सरकारी घोषित कर दिया। तहसीलदार मौके पर पहुंचे और सरकारी जमीन कब्जे में ले ली गई है। वर्तमान में जिन लोगों के नाम यह जमीन दर्ज निकली है उनमें संजयदीप पुत्र जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव, आनंद, कुलदीप संतोष नीलम पुत्र व पुत्री जगदीश के नाम अंकित है।
यह बोले एसडीएम
बंदोबस्त भूल सुधार आदेश से सरकारी जमीन राजस्व रिकार्ड में पटवारी की पत्नी फिर बच्चों के नाम दर्ज हुई है। शिकायत पर जांच के बाद सरकारी जमीन फर्जी तरीके से नाम कराने का पता चला है। उस दौरान अमल भी पटवारी द्वारा कर लिया था। जमीन वापस सरकारी कब्जे में ले ली है। इस मामले में तत्कालीन पटवारी खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं।
राजन बी नाडिया एसडीएम पोहरी।
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कालामड भूमि घोटाले की दिला दी याद
बैराड़ के बहुचर्चित कालामड्ड भूमि घोटाले की याद इस कांड ने ताजा कर दी। किस तरह सरकारी पद पर रहकर पटवारी ने गुल खिलाया यह देखने वाली बात है। लेकिन इस तरह के मामले में ठोस सजा न होना लगातार इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोक नहीं पाता।

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