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धमाका: सिद्धि विनायक अस्पताल के संचालकों को अभयदान क्यों ? कब दर्ज होगा केस ?

शनिवार, 25 दिसंबर 2021

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। नगर के बहुचर्चित सिद्धिविनायक भ्रूण लिंग के मामले में अस्पताल के संचालकों पर आखिर कार्रवाई कब होगी ? इस मामले में अस्पताल के डॉक्टर खान और उसकी डॉक्टर पत्नी बनाम नर्स को आरोपी बना लिया गया था। यह इनामी बंटी बबली बनाम दोनों पति-पत्नी ने बीते रोज कोर्ट में सरेंडर कर दिया जिसके बाद दोनों जेल भेज दिए गए हैं लेकिन इतना ही काफी नहीं है। इस मामले में अब तक स्वास्थ्य महकमे ने
अस्पताल के संचालकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है और ना ही पुलिस ने इस मामले में कोई कदम उठाया है। आखिर संचालकों को अभयदान क्यों दिया जा रहा है। जबकि सबसे बड़ा सवाल है कि एक आयुष डॉक्टर खान को कैसे अस्पताल की सभी सेवाओ के लिये नियुक्त किया गया था ? जबकि वह पात्र ही नहीं है। क्या मरीजों की जान से खिलवाड़ के लिये ऐसा किया गया था ?
लोगों का कहना है कि सिद्धिविनायक अस्पताल में भ्रूण नष्ट करने को लेकर बातचीत वीडियो में साफ सुनाई दे रही थी। जांच में भी यह बात साबित हुई कि सिद्धिविनायक अस्पताल में ही लेन-देन को लेकर चर्चा हुई थी बावजूद इसके संचालकों को बख्शा जाना समझ से परे है। लोगों का कहना है कि इस मामले में अब तक छोटे-मोटे किरदारों को तो विलेन बना दिया गया है लेकिन असली विलेन संचालकों के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई अंजाम नहीं दी गई है! जो मिली जुली साजिश की तरफ इशारा कर रही है। लोगों ने मांग की है कि जब अस्पताल में ही यह खेल खेले जाने की बातचीत हुई तो फिर संचालक कैसे दोष मुक्त हो सकते हैं उनके विरुद्ध भी केस दर्ज कर कार्रवाई की जाना जरूरी है। 
संचालक डॉक्टर के कमरे में हुई डील
बता दें कि जिस कमरे में  बैठकर उक्त बातचीत डॉक्टर बनाम नर्स ने की थी वह भी अस्पताल के संचालक का कमरा था। स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों ने जांच के दौरान यह बात खुद पकड़ी थी लेकिन मामले को दबा कर रखा गया है जबकि अस्पताल के संचालकों में से एक डॉक्टर का यह कमरा था। उनके विरुद्ध भी कार्रवाई इसलिए अंजाम दी जानी चाहिए कि उनके नाम की तख्ती लगे कमरे में बैठकर आखिर कोई कैसे भ्रूण लिंग परीक्षण या उसे नष्ट करने की बातचीत कर सकता है। यह पूरा मामला गहरी जांच का विषय है लेकिन इस तरह का तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों ने मांग की है कि पूरे मामले की नए सिरे से जांच की जाए और संचालकों के विरुद्ध भी केस दर्ज किया जाए।
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