दिल्ली। एक अपनी तरह का अनोखा केस भारत में पहली बार दायर किया गया है, जिसमे क्रिप्टो करंसी की वैधानिकता पर प्रश्न चिंह लगाया है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से यह घोषित करने के लिए भी कहा है कि भारतीय अनुबंध कानून के तहत डेरिवेटिव ट्रेडिंग से संबंधित लेनदेन और समझौते प्रतिबंधित हैं।दिल्ली न्यायालय में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता MP के शिवपुरी निवासी निपुण सक्सेना ने याचिका दायर की गई है जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई है कि भारत में आवश्यक वैधानिक अनुमोदन के बिना क्रिप्टोकुरेंसी में व्युत्पन्न व्यापार अवैध है।
याचिका के अनुसार, वकील निपुण सक्सेना के माध्यम से दायर याचिकाकर्ता में क्रिप्टोकुरेंसी में व्यापार करने के लिए कंपनी की वेबसाइट के साथ बनाए गए डिजिटल वॉलेट में पैसा स्थानांतरित कर दिया।
कंपनी भारत में आधारित नहीं है। याचिकाकर्ता ने विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी के लिए विभिन्न लेनदेन करने का भी दावा किया है।
हालांकि, याचिकाकर्ता को यह महसूस होने के बाद कि कंपनी की वेबसाइट पर एक क्रिप्टोकुरेंसी के मूल्य में "भारी असमानता" थी और "विश्वसनीय प्लेटफॉर्म/आधिकारिक वेबसाइटों" पर उसी क्रिप्टोकुरेंसी के वास्तविक मूल्य में "भारी असमानता" थी।
इस प्रकरण के मद्देनजर, याचिकाकर्ता ने दिल्ली एचसी से कंपनी को भारत में अपनी वेबसाइट की मेजबानी या पेशकश या प्रसारण से रोकने का आग्रह किया।

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