आदिवासी वस्ती में विश्व एड्स दिवस पर युवाओं एवं महिलाओं को एड्स के बारे में जागरुक किया
विश्व एड्स दिवस के लिए इस साल की थीम है. असमानताओं को समाप्त करेंए एड्स का अंत करें - रवि गोयल
शिवपुरी। हर साल 1 दिसंबर को दुनिया भर में एड्स दिवस मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस उन लोगों की याद में माया जाता है, जिनका एचआईवी के कारण निधन हो गया और उन लोगों को सहायता प्रदान करता है। जो जीवन के लिए खतरनाक स्थिति के साथ जी रहे हैं। वर्ल्ड एड्स डे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिह्नित ग्यारह आधिकारिक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। कार्यक्रम संयोजक शक्तिशाली महिला संगठन रवि गोयल ने बताया कि आज विश्व एड्स दिवस के अवसर पर संस्था द्वारा हाईवे किनारे वसे 9 गांव एवं एक शहरी आदिवासी ए.बी. रोड़ पे वसा कठमई वस्ती में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें कि सवसे पहले रवि गोयल ने डॉक्टर आशीष व्यास को लाल रिविन लगाकर एड्स के कारण अपनी जान गवा चुके लोगो की आत्मा की शांति एवम युवाओं को इसके बारे में जागरूक करने का बीड़ा उठाया। उन्होेने बताया कि सवसे पहले विश्व एड्स दिवस साल 1988 में मनाया गया था। प्रारंभ में यह दिवस सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था लेकिन बाद में पता चला कि एआईवी संक्रमण किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है। 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार ,रोकथाम और जागरूकता पर काम शुरू हुआ। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2020 में पूरी दुनिया में 3.77 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित थे। शिवपुरी जिले की बात करें तो यहा 1700 मरीज ऐसे है जिनको कि एड़स की पुष्टिहुयी है लेकिन मरीजों का यह आकड़ा हकीकत में और बढ़ सकता है क्योकि अभी भी लोग एड्स की जांच कराने से कतराते है एड्स के बारे में जागरुकता का भी काफी अभाव है आज कठमई में जब युवाओं से डा0 आशाीष व्यास ने पूछा कि आप जानते है एड्स क्या होता है तो आधे लोगो ने मना कर दिया कि हम नही जानते। रवि गोयल ने कहा कि हर दिवस का हर साल का एक थीम होती है । विश्व एड्स दिवस के लिए इस साल की थीम है. असमानताओं को समाप्त करें, एड्स का अंत करें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. आशाीष व्यास जिला नोडल अधिकारी एड्स ने युवाओं को बताया कि यह दिवस लोगों और सरकारों को याद दिलाता है कि एचआईवी वायरस बहुत अधिक प्रचलित है। इसके खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है। विश्व एड्स दिवस पर लोगों को बताया है कि अभी ओर जागरूकता बढ़ाने,जनता को शिक्षित करने और एड्स के खिलाफ मिलजुलकर लड़ने की आवश्यकता है। एचआइवी एड्स की बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी लगातार इस दिशा में अभियान चलाया जाता है। आज विश्व एड्स दिवस पर इस महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने का हम संकल्प लें, स्वयं भी जागरूक बनें और दूसरे को भी जागरूक करें। डॉक्टर व्यास ने कहा की शक्तिशाली महिला संगठन के द्वारा हाईवे किनारे वसे 9 गांव में भी आज जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जो कि एक अच्छी पहल है हम सबको एड्स कलंक से लड़ने और एचआईवी पॉजिटिव लोगों को सशक्त बनाने के लिए सर्वोत्तम तरीकों में से एक यह है कि हम कौन हैं और हम क्या अनुभव करते हैं। इस बारे में खुलकर और ईमानदारी से बात करें। साथ ही शहरी क्षेत्रों में नशा करने के लिए युवा एक की सूई का प्रयोग करते है जो कि खतरनाक है इससे एड्स से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है इसके लिए गांव वालों को भी आगे आना होगा और एक अच्छा नागरिक होने का अपना फर्ज निभाना होगा तभी हम एड्स को कम कर सकते है। कार्यक्रम में स्वच्छ भारत मिशन यूनीसेफ के संभागीय समन्वयक ग्वालियर चंबल अतुल त्रिवेदी ने कहा कि गले लगाने या हाथ मिलाने या दोस्त के साथ भोजन करने से एड्स नहीं हो सकता इस भ्रांति को दूर करने करने की आवश्यकता है आजादी के इतने सालो बाद भी आज भी लोगो को एड्स के बारे में जागरुकता का अभाव है जो कि चिन्तीय है हर गांव एवं शहरी क्षेत्र से युवाओं को इस दिशा में आगे आना होगा। आज हाईवे किनारे जिन गांव में यह जागकता मुहिम चलाई गई उनमें पतारा, मामोनीखुर्द, विनेगा, सतनवाड़ा, ठेह, डोगंर, कांकर आदिवासी मजरा, इन्दरगढ़ में जागरुकता कार्यक्रम किए। आज कठमई में आयोजित कार्यक्रम में जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी डा. आशीष व्यास, अतुल त्रिवेदी, रवि गोयल, साहव सिहं , हेमन्त, लब कुमर वैष्णव, युवा, महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में सुपेाषण सखी हर्षा कपूर, आंगनवाड़ी सहायिका , शक्तिशाली महिला संगठन की पूरी टीम ने भाग लिया।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें