श्री कृष्ण सरल का जीवन घर घर पाठ, प्रातः स्मरण के रूप में होना चाहिए: तारे
शिवपुरी। साहित्य अकादमी संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन के द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण सरल को समर्पित नमन क्रांतिधर्मा आयोजन होटल सोनचिरैया में गरिमा के साथ संपन्न हुआ,इस अवसर पर लेखक, पत्रकार चिंतक अतुल तारे, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कुमार संजीव, साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे, राष्ट्रीय कवि शम्भू मनहर, पुरुषोत्तम गौतम व कार्यक्रम संयोजक आशुतोष शर्मा मंचासीन रहे,द्वतीय स्तर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया,साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित आशुतोष शर्मा की प्रथम काव्य कृति जिसका विमोचन दो दिवस पूर्व राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दीपक विसपुते ने युवा परिचर्चा युवान में किया था, उसका परिचय प्रस्तुत किया गया व मुरैना के साहित्यकार देवेंद्र तोमर की कृति का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार लेखक चिंतक अतुल तारे ग्वालियर ने कहा कि अभी कुछवर्षों में सुखद परिवर्तन देखने को मिल रहे है,इसी क्रम में नमन क्रांतिधर्मा पुण्यात्माओं को स्मरण करने का दिवस है,हमारे साथ ही जिन राष्ट्रों का राष्ट्रीय प्रवास प्रारम्भ हुआ,चीन जापान,जर्मनी का आज वह राष्ट्र कहा और हम कहा है विचारणीय प्रश्न है,हमारी बौद्धिक चेतना का स्तर क्या है,हमने क्रांतिकारियों को विस्मृत किया है वह अक्षम्य है,क्या हम स्वाधीन हुए इस पर विचार करने की आवश्यकता है,राष्ट्रीय चेतना में स्व के भाव को विस्मृत कर देने से हमारी ये अधोगति हुई है।श्रीकृष्ण सरल की जीवनी को उनके जीवन चरित्र को घर घर पाठ प्रातः स्मरण के रूप में करने की आवश्यकता है।
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ विकास दवे ने कार्यक्रम की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण सरल जैसे महापुरुषों को घर घर पहुचाने उनके त्याग और संघर्ष मयी जीवन से युवाओं को जोड़ने के लिए साहित्य अकादमी कटिबध्द है,अगर हम इन महानायको के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित नही करेंगे,जन जन तक उनके विचार को नही पहुचायेंगे तो फिर पहुचायेगा कौन?इसी निम्मित जिले जिले में पुण्यात्माओं का स्मरण अकादमी कर रही है।
ग्वालियर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कुमार संजीव ने श्री कृष्ण सरल के जीवन को रेखांकित करतेहुए कहा कि विभिन्न देशों की यात्रा केवल भारतीय नायकों के जीवन को प्रस्तुत करने के लिए करने वाले सरल जीवित बलिदानी थे,धर्मपत्नी के गहने बेचकर ग्रंथ लिखने वाले राष्ट्र के सच्चे सिपाही थे।
तत्पश्चात आशुतोष शर्मा की कृति जय घोष का परिचय व देवेंद्र तोमर की कृति का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया।
द्वतीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया,जिसमे शम्भू मनहर खरगोन,घनश्याम योगी करेरा,डॉ एच पी जैन,सुकून शिवपुरी, आशुतोष ओज, उर्वशी शर्मा,अनुप्रिया तंवर,प्रदीप अवस्थी,राम पंडित,अजय जैन अविराम,सुरेश दुबे,शरद गोस्वामी ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी।प्रथम सत्र का संचालन शम्भू मनहर खरगौन,तो द्वतीय सत्र कवि सम्मेलन का संचालन आशुतोष शर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में अभिभाषक संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र समाधिया, सचिव पंकज आहूजा व कोषाध्यक्ष प्रदीप भार्गव,बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सुषमा पांडेय, सदस्य उमेश भारद्वाज, सुगंधा शर्मा, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य अजय खेमरिया व उर्दू अकादमी के नवनियुक्त जिला समन्वयक सुकून शिवपूरी का अभिनंदन भी किया गया।

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