विधिक सेवाएं, राष्ट्रीय एड्स हेल्पलाइन नम्बर 1097 के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
शिवपुरी। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के निर्देशन में प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विनोद कुमार के मार्गदर्शन में आज बुधवार को विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में एडीआर सेंटर, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिवपुरी में एड्स से पीड़ित लोगों के लिए विधिक सेवाएं, राष्ट्रीय एड्स हेल्प लाईन नम्बर 1097 के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उक्त जागरूकता कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश/सचिव श्रीमती अर्चना सिंह, एआरटी प्रभारी अधिकारी डॉ.आशीष व्यास, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री आकाश अग्रवाल, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष श्रीमती सुषमा पाण्डेय, सदस्य श्री उमेश भारद्वाज, प्रोग्राम मैनेजर संकल्प संस्था श्री धर्मेन्द्र गुप्ता, चाइल्ड लाईन शिवपुरी से श्रीमती संगीता चौहान एवं एड्स से पीढित मरीज तथा अन्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश/ सचिव श्रीमती अर्चना सिंह द्वारा एङ्स से पीढितों लोगों के बारे में बताया कि कुछ बच्चे जन्म से ही माता-पिता से इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं तथा पूर्व में समाज उन बच्चों व परिवार को हीन भावना से देखता था तथा कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को उन बच्चों के साथ खेलने नहीं देते हैं तो मैं उन अभिभावकों को इस दिवस के उपलक्ष्य पर बोलना चाहूंगी कि एड्स की बीमारी एक दूसरे के साथ खाना खाने अथवा उनके साथ खेलने से नहीं फैलती है वरन प्यार फैलता है तथा हमें ऐसे रोगियों के साथ सद्भावनापूर्ण व्यवहार करना चाहिये और समाज की मुख्यघारा से जोड़ना चाहिये।
एड्स होने के कारण उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जा सकता, उन्हें भी संविधान के अनुच्छेद 14, 16 एवं 21 के तहत समानता का अधिकार है, अगर किसी एड्स पीड़ित की नौकरी में सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रित को 08 सप्ताह के भीतर अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए तथा ऐसे लोगों को अगर कोई कानूनी सहायता चाहिए तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आकर निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं तथा ऐसे रोगियों के लिये शासन द्वारा संचालित राष्ट्रीय एड्स हेल्प लाईन नम्बर 1097 पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराकर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.आशीष व्यास द्वारा एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) के बारे में बताते हुये कहा कि यह बीमारी वायरस से फैलती है, जिसे एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस) कहते हैं। एचआईवी शरीर में रोगों का सामना करने की क्षमता को कमजोर करता चला जाता है। यह बीमारी किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्पर्क करने से, रक्त या रक्त उत्पादन को चढ़ाने से, एचआईवी संक्रमित सुइयां (इंजेक्शन और सिरिंज) इस्तेमाल करने से जिन्हे स्ट्रलाईज न किया गया हो एवं एचआईवी संक्रमित माँ से उसके शिशु को (गर्भवस्था में या प्रसव के दौरान) फैलता है। एचआईवी/एड्स से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से सामान्य मेलजोल रखने में कोई खतरा नहीं है, उससे हाथ मिलाने, उसके साथ खाना खाने से, उसे छूने, उससे गले मिलने से भी संक्रमण की कोई आशंका नहीं है तथा खांसने-छींकने और मच्छर के काटने से भी एड्स फैलने का कोई खतरा नहीं होता है तथा एड्स की बीमारी के बारे में बताते हुये कहा कि एड्स का कोई इलाज नहीं है। अभी जो दवायें उपलब्ध हैं उनके उपयोग से शरीर में मौजूद एचआईवी की संख्या स्थिर हो जाती है, अर्थात वे गुणात्मक रूप से बढ़ते नहीं हैं। परन्तु ऐसी कोई दवा नहीं है जो शरीर में मौजूद एचआईवी को खत्म कर सके। इन दवाओं को निरन्तर लेना पड़ता है, ये दवायें एआरटी सेंटर पर निःशुल्क उपलब्ध होती है। इसलिये एचआईवी/एड्स से बचाव ही एकमात्र इलाज है।

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