विजय धर्म सूरी समाधि मंदिर के सामने हुआ आयोजन
शिवपुरी। जैन आचार्य धर्म सूरी जी के परम शिष्य श्री विजयेंद्र सूरीजी जैन आचार्य का 141 वां जन्मदिन उनके चित्र और चरण पादुका पर फूल माला अर्पण कर विजय धर्म सूरी समाधि मंदिर वीर तत्व प्रकाशक मंडल ट्रस्ट के प्रबंधक यशवंत जैन गुगलिया ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर मनाया। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनका स्याल कोट जिले में एक तहसील जफरवाल थी बाद में यह तहसील जफरलवाल से नरोलबाल हो गई थी। इस तहसील में एक कस्बा सनखतरा है जो जफरवाल से 8 मील और नरोलबाल से 11 मील तथा स्यालकोट से 31 मील की दूरी पर है। शास्त्र विशारद जैनाचार्य विजयधर्म सूरी के शिष्य थे। अपने गुरु स्थान समाधि इस मंदिर पर अभी देह को व्यागा। अपने गुरु के समाधि के सामने इनकी चरण पादुका विराजमान है। इनका निधन 9 मई 1966 को शिवपुरी में हुआ था। दाह संस्कार समाज के मंगलचंद कोचेटा नामक श्रावक के द्वारा किया गया था। इनकी चरण पादुका स्थल पर प्रतिवर्ष ध्वाजा चढाई जाती है और नित्य प्रतिदिन पूजन होती है। जैनाचार्य ने गंथों की रचना व पाठशाला व अनेकों विद्वानों का सानिथ्य प्राप्त हुआ जिनमें महावीर प्रसाद द्विवेदी व सुभद्राबाई चौहान जैसे विद्वान उनके संपर्क में थे।
शिवपुरी। जैन आचार्य धर्म सूरी जी के परम शिष्य श्री विजयेंद्र सूरीजी जैन आचार्य का 141 वां जन्मदिन उनके चित्र और चरण पादुका पर फूल माला अर्पण कर विजय धर्म सूरी समाधि मंदिर वीर तत्व प्रकाशक मंडल ट्रस्ट के प्रबंधक यशवंत जैन गुगलिया ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर मनाया। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनका स्याल कोट जिले में एक तहसील जफरवाल थी बाद में यह तहसील जफरलवाल से नरोलबाल हो गई थी। इस तहसील में एक कस्बा सनखतरा है जो जफरवाल से 8 मील और नरोलबाल से 11 मील तथा स्यालकोट से 31 मील की दूरी पर है। शास्त्र विशारद जैनाचार्य विजयधर्म सूरी के शिष्य थे। अपने गुरु स्थान समाधि इस मंदिर पर अभी देह को व्यागा। अपने गुरु के समाधि के सामने इनकी चरण पादुका विराजमान है। इनका निधन 9 मई 1966 को शिवपुरी में हुआ था। दाह संस्कार समाज के मंगलचंद कोचेटा नामक श्रावक के द्वारा किया गया था। इनकी चरण पादुका स्थल पर प्रतिवर्ष ध्वाजा चढाई जाती है और नित्य प्रतिदिन पूजन होती है। जैनाचार्य ने गंथों की रचना व पाठशाला व अनेकों विद्वानों का सानिथ्य प्राप्त हुआ जिनमें महावीर प्रसाद द्विवेदी व सुभद्राबाई चौहान जैसे विद्वान उनके संपर्क में थे।

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