महाकवि घाघ की एक मशहूर कहावत है 'धनु के पंद्रह, मकर पच्चीस, चिल्ला जाड़ा दिन चालीस'। अर्थात धनु राशि के पंद्रह दिन और मकर राशि के पच्चीस दिन अर्थात दोनों को मिलाकर चालीस दिन का समय ऐसा होता है, जब भयंकर जाड़ा पड़ता है। उनकी यह कहावत आज प्रासंगिक लग रही है। ‘धनु के पंद्रह, मकर पचीस, चिल्ला जाड़ा दिन चालीस’ वाली कहावत इसी ओर संकेत करती है कि मकर संक्रांति से 15 दिन पूर्व और 25 दिन बाद तक चिल्ला जाड़ा माना जाता है। यह बातें करीब 40 साल पहले खूब कही सुनी जाती थीं लेकिन फिर वक्त ने करबट बदली। सर्दी आती रहीं लेकिन हाड़ कपा देने वाली सर्दी बुजर्गों के अनुसार 40 साल बाद लौटी है। गुरुवार से सर्दी में गिरावट होती गई और शनिवार को सर्दी पूरे शवाब पर है। रजाई, हीटर, अलाव सभी आज पड़ रही जोरदार सर्दी के सामने बेवस नजर आ रहे हैं। कड़ाके की सर्दी ऊपर से उतनी ही तेज ठंडी हवाएं लोगों को परेशान किये हैं। धूप नदारद है, आते ही बादलों की ओट में छुप जाती है। पानी जमने को बेताब है। कुलमिलाकर ठंड ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़कर रख दिये हैं। 10.2 किमी की रफ्तार से सर्दिली हवाओ का चलना जारी है तो पारा लुढ़ककर 18/5 पर आ गया है। रविवार को भी यही हाल रहेगा। हवाओ की गति कुछ मंद हो सकती है।
बुजर्ग, बच्चों का रखिये जरा ख्याल
सर्दी की अधिकता के चलते बच्चों और बुजुर्गों का ख्याल रखना होगा। उन्हें सर्दी से हर हाल में बचाये। खुद भी सुरक्षित रहें।

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