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हाइकोर्ट ने पूछा परिवहन विभाग से, पोर्टल पर सर्विस चार्ज के 70 रुपये जो उपभोक्‍ताओं से लिए जा रहे हैं, वे किस खाते में जा रहे हैं

बुधवार, 5 जनवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
हाईकोर्ट ने कहा 70 रुपये किसके खाते में जा रहे हैं, जवाब में स्पष्ट क्यों नहीं किया
एनआइसी को पार्टी बनाने का दिया आदेश, परिवहन विभाग से भी मांगा जवाब
ग्वालियर। हाई कोर्ट में शिवपुरी निवासी विजय शर्मा बिंदास ने स्मार्ट चिप कंपनी की सेवाओं के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। इसी की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने परिवहन विभाग से पूछा है कि पोर्टल पर सर्विस चार्ज के नाम पर लिए जा रहे 70 रुपये किसके खाते में जा रहे हैं। यह जवाब में स्पष्ट क्यों नहीं किया है। इसलिए अगले हफ्ते होने वाली सुनवाई में बताया जाए कि 70 रुपये कहां जमा हो रहे हैं। साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि एनआइसी (नेशनल इन्फोरमेशन सेंटर) को याचिका में प्रतिवादी बनाया जाए, ताकि एनआइसी से भी जवाब मांगा जा सके। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील जैन ने तर्क दिया है कि परिवहन विभाग ने प्रदेश में आनलाइन सेवा देने का स्मार्ट चिप कंपनी को ठेका दिया है। अगर कोई व्यक्ति परिवहन विभाग का कोई शुल्क जमा करता है तो उस शुल्क को जमा करने के लिए 70 रुपये अतिरिक्त जमा करने पड़ते हैं। यह पैसा सर्विस चार्ज के नाम पर लिया जाता है, जबकि एनआइसी के माध्यम से यह सेवाएं निशुल्क मिल रही हैं। इस मामले में परिवहन विभाग ने 23 नवंबर 2021 को हाई कोर्ट में अतिरिक्त जवाब पेश कर बताया था कि एनआइसी से सेवाएं लेना शुरू कर दी हैं। एनआइसी के पोर्टल पर भी सेवा लेने पर लोगों को 70 रुपये देने पड़ रहे हैं। उसकी रसीद संलग्न है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि विभाग ने 'आसमान से गिरे तो खजूर पर अटके" की स्थिति कर दी है। जनता का पैसा एक निजी कंपनी के पास जाने से रोका गया तो अब उस पैसे को विभाग अपने खजाने में जमा करने लगा है। जनता को तो हर तरफ से नुकसान हो रहा है। अधिवक्ता ने एनआइसी की सेवाओं के संबंध में एक आदेश दिखाते हुए कहा कि 33 राज्यों में सेवाएं फ्री दी जा रही हैं। सर्विस टैक्स नहीं लिया जा रहा है। राज्य शासन का काम तो सिर्फ टैक्स लेना है। सर्विस टैक्स के नाम पर पैसा नहीं लिया जा सकता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सर्विस चार्ज के नाम पर लिए जा रहे 70 रुपये किसके खाते में जा रहे हैं, यह स्पष्ट क्यों नहीं किया। इसलिए एनआइसी को भी पार्टी बनाया जाए। पैसा किसके खाते में जा रहा है। यह भी स्पष्ट किया जाए।
ये सेवाएं संचालित होंगी एनआइसी के पोर्टल से
- पुरानी गाड़ी के विक्रय के लिए भी कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ओटीपी के बाद बायोमेट्रिक से पहचान की जाएगी।
- पता परिवर्तन के लिए कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- वाहन रजिस्ट्रेशन, टैक्सेसन, परमिट, फिटनेस, लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस, डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन, ट्रेड सर्टिफिकेट, प्रदूषण जांच केंद्र आवेदन, मोटर ड्राइविंग स्कूल, आल इंडिया परमिट।
- जैसे की लर्निंग लाइसेंस की सेवा एनआइसी से दी जा रही है तो लर्निंग लाइसेंस के लिए दफ्तर आने की जरूरत नहीं है।
- वाहन रजिस्ट्रेशन के लिए कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीलर प्वाइंट पर ही रजिस्टर्ड हो जाएगा।
- डुप्लीकेट दस्तावेज के लिए भी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डुप्लीकेट लाइसेंस घर बैठे बन जाएगा। लाइसेंस पर पता भी घर बैठे बदल जाएगा। लाइसेंस का रिन्यूअल भी आनलाइन हो जाएगा।

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