अत्यधिक समय तक इन्टरनेट व फोन का उपयोग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता
शिवपुरी। प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथए सब कुछ धीरे धीरे खुद को ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित कर रहा है एक प्रक्रिया जिसे कोविड 19 प्रेरित महामारी द्वारा और तेज कर दिया गया है। इस ऑनलाइन बदलाव के साथ इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गया है और साइबर सुरक्षा के प्रश्न ने गति पकड़ ली है। हालाँकि इंटरनेट मानवता के लिए एक उपहार है और हमारे दैनिक जीवन को और अधिक सुखद बनाता है इसके कुछ हानिकारक पक्ष भी हैं जिनके बारे में कई विशेष रूप से बच्चों को पता नहीं है। इस युग में जहां एक अराजक जीवन शैली को आदर्श माना जाता है माता.पिता के लिए अक्सर अपने बच्चों पर लगातार नजर रखना मुश्किल होता है। लेकिनए बच्चों को ऑनलाइन विभिन्न खतरों से बचाने के लिए हमें उन खतरों से अवगत होना चाहिए जिनका वे ऑनलाइन सामना करते हैं। यह कहना था कार्यक्रम के संयोजक रवि गोयल का जो कि बच्चों के अभिभावकों से इन्टरनेट व फोन के बढ़ते उपयोग से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रुप से प्रभावित कर रहा है इसी संबध में शक्तिशाली महिला संगठन के द्वारा कोविड गाईड लाईन का पालन करते हुए कोयला कालोनी में महिला अभिभावको के एक छोटे समूह से चर्चा के दौरान कही। इस संबध में पर्यवेक्षक श्रीमती आशा दुबे ने कहा कि साइबरबुलिंग साइबर शिकारियों फ़िशिंग निजी जानकारी को ऑनलाइन पोस्ट करना कुछ ऐसे सामान्य खतरे हैं जिनका बच्चों को इंटरनेट एक्सेस करते समय सामना करना पड़ता है। 2018 के एक सर्वेक्षण के अनुसार सोशल मीडिया के किसी न किसी रूप का उपयोग करने वाले लगभग 60 बच्चों को किसी न किसी स्तर पर साइबरबुलिंग का सामना करना पड़ा है। बच्चों को अक्सर उनके सोशल मीडिया एक्सचेंजों के लिए उपहास किया जाता है और यह बदले में उनके मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुबके रहने वाले शिकारी अक्सर अपनी बेगुनाही का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें शारीरिक मुलाकात के लिए मना लेते हैं जो खतरनाक हो सकता है। बच्चों को अक्सर सामाजिक सीमाओं को समझने में कठिनाई होती है और वे निजी जानकारी अपलोड करते हैं जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। कम्यूनिटि हेल्थ आफीसर सुश्री रुबिना खान ने इस अवसर पर कहा कि बच्चे ऐसे पोस्ट भी देख सकते हैं जो उन्हें जीवन भर के लिए डरा सकते हैं और उन्हें आघात पहुँचा सकते हैं। बच्चों को इन विभिन्न खतरों से बचाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें कम उम्र में ही उन खतरों के बारे में पढ़ाया जाए जिनका वे इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय सामना कर सकते हैं। उनकी ऑनलाइन गतिविधियों के संबंध में नियमित अंतराल पर उनके साथ बातचीत करना भी उन्हें खतरों से दूर रखने का एक अच्छा तरीका है। ऐसे सॉफ़्टवेयर के उपयोग की भी सलाह दी जाती है जो बच्चों द्वारा एक्सेस किए जाने वाले डिवाइस पर माता.पिता के नियंत्रण को सक्षम करते हैं प्रौद्योगिकी के इस युग में बच्चों को इंटरनेट तक पहुंच से रोकना और मना करना एक पुराना उपाय है और स्वस्थ संबंधों के विकास के लिए बच्चे और माता.पिता के बीच पारदर्शिता के विकास में काफी बाधा उत्पन्न कर सकता है। बच्चों एवं उनके अभिभावको को जल्द से जल्द इंटरनेट के खतरों के बारे में जागरूक करना और माता.पिता के नियंत्रण सॉफ्टवेयर का उपयोग करके उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे अच्छा है। कार्यक्रम में रवि गोयल, पर्यवेक्षक श्रीमती आशा दुबे , कोयला कालोनी एएनएम, श्रीमती गीता पटेल, सीएचओ सुश्री रुबिना खान, जसमती आदिवासी आशा सहयोगिनी, रानी जाटव , ज्योति कुलश्रेष्ठ आंननवाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ता रचना जाटव के साथ बच्चों की माताओं ने भाग लिया।

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