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धमाका बड़ी खबर: 'श्रीमंत' करवाइये न इसकी भी जांच, प्रतिबंध के बावजूद जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कैसे दे रहे निजी अस्पताल में सेवाएं, ये देखिये नियम कंडिका

मंगलवार, 18 जनवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
सरकारी डॉक्टर्स का निजी अस्पतालों में सेवा देना जांच में
- शासन के नियमानुसार केवल घर पर परामर्श तक सीमित है निजी प्रैक्टिस
- चिकित्सा शिक्षा अधिनियम में सिर्फ  केस टू केस प्रैक्टिस की सशर्त अनुमति
शिवपुरी। शिवपुरी के सिद्धिविनायक अस्पताल में कन्या भ्रूण हत्या डीलिंग संबंधी वायरल वीडियो के क्रम में दर्ज हुए आपराधिक प्रकरण के बाद अब पूर्व महिला विधायक शकुंतला खटीक की बहू का जबरन सीजर किए जाने सम्बंधी विवाद उठने से मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल के डॉक्टर्स द्वारा निजी अस्पतालों में दी जा रहीं नियमित सेवाओं और किए जा रहे आपरेशन पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सिद्धिविनायक अस्पताल में सरकारी डॉक्टर से लेकर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों तक की नियमित सेवाओं की एक लंबी फेहरिस्त सामने आई है जिसके तहत इन डॉक्टर्स को यहां न केवल निजी अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी आईपीडी पेशेंट्स को देखने ऑपरेशन करने और परामर्श देने जैसी सेवाओं में तल्लीन देखा जाता था बल्कि मशीनी परीक्षण में भी यह चिकित्सक अपना योगदान सरकारी ड्यूटी से कहीं अधिक देते दिखाई देते हैं। इनके नाम निजी अस्पताल में कक्ष तक आवंटित पाए गए और यह वहां के निजी कर्मचारी बतौर सेवारत देखे गए। यहां सरकारी डॉक्टरों ने अपने निजी क्लीनिक डायग्नोस्टिक सेंटर सोनोग्राफी सेंटर से लेकर तमाम ऐसे प्रकल्प शुरू कर रखे हैं जिसके कारण सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की गिरती साख के पीछे निजी स्तर पर चमकती यह दुकानदारी भी एक बड़ा कारण मानी जा रही है।
मेडिकल कॉलेज यहां अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है वही जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। इन परिस्थितियों में सरकारी चिकित्सा के व्यवसायीकरण पर खासी बहस छिड़ गई है।
क्या है संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं का आदेश
संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश के 19 जनवरी 2021 को जारी एक आदेश में उप संचालक डॉ इंद्रजीत सिंह सिकरवार ने मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के एक प्रकरण का हवाला देते हुए सभी क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा प्रदेश के सभी सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक को आदेशित किया है कि आयोग की अनुशंसा के क्रम में 7 अगस्त 2013 को जारी मध्य प्रदेश शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश क्रमांक 1983/2835/13 में दिए गए दिशा.निर्देशों का प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉ कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। 
-सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस संबंधी क्या है शासन के आदेश- 
शासकीय चिकित्सकों को निजी प्रैक्टिस के संबंध में 8 बिंदु का एक पत्र स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है जिसमें कहा गया है 
1 निजी प्रैक्टिस केवल कर्तव्य की अवधि के बाहर की जा सकेगी
2 स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत कार्यरत शासकीय चिकित्सक अपने निवास पर निजी प्रैक्टिस के अंतर्गत केवल परामर्श सेवाएं ही दे सकेंगे। सरकारी डॉक्टर स्वयं के नाम अथवा परिजनों के नाम से कोई क्लीनिक नर्सिंग होम अथवा निजी चिकित्सालय संचालित नहीं कर सकेंगे। परामर्श की सेवाएं भी पदस्थापना मुख्यालय पर ही दी जा सकेंगी
3- किसी भी निजी नर्सिंग होम निजी अस्पताल या प्राइवेट क्लीनिक में जाकर किसी भी प्रकार की प्रैक्टिस जिसमें परामर्श सेवाएं भी सम्मिलित हैं की अनुमति नहीं होगी
4- ऐसे उपकरण जिनके लिए पृथक से लाइसेंस की आवश्यकता होती है जैसे एक्स रे मशीन, यूएसजी, इकोकार्डियोग्राफ ी सोनोग्राफ ी मशीन आदि उन्हें अपने निवास पर अपने नाम से पंजीकृत कर कतई नहीं रख सकेंगे। 
5- अपने निवास पर अपने परिजन अथवा अन्य व्यक्ति के नाम से स्थापित पंजीकृत उपकरणों पर कार्य करने हेतु स्वयं का नाम रजिस्टर नहीं रख सकेंगे एवं स्वयं उस उपकरण पर कार्य की रिपोर्टिंग भी नहीं कर सकेंगे
6- ऐसे उपकरण जिनका उपयोग ऑपरेशन में किया जाता है उदाहरणार्थ डेंटल चेयर लेजर मशीन आदि स्वयं के नाम पर अपने निवास पर नहीं रख सकेंगे ना ही निवास पर अन्य किसी परिजन के नाम से रखी गई मशीन पर कार्य करेंगे
7- पैथोलॉजी बायोकेमिस्ट्री जांचों हेतु निजी प्रैक्टिस के लिए कोई उपकरण नहीं रखे जा सकेंगे
आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि इन नियमों का उल्लंघन मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम सोलह के उप नियम 4 का उल्लंघन माना जाएगा और मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के अंतर्गत दंडनीय होगा।
स्पष्ट है कि शासन का इस तरह का कोई आदेश नहीं है जिसमें सरकारी चिकित्सक प्राइवेट अस्पताल या निजी नर्सिंग होम में जाकर अपनी सेवाएं दे सकें आपरेशन कर सकें अपने डायग्नोस्टिक सेंटर खोल सकें अथवा किसी अस्पताल में जाकर ऑपरेशन या परामर्श जैसी सेवाएं दे सकें। पूर्व में जारी इस आदेश को संचालनालय ने 19 जनवरी 2021 को फि र से कड़ाई से लागू करने के निर्देश किए हैं। 
शासन के इतने स्पष्ट दिशा निर्देशों के बावजूद शिवपुरी में इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर्स के बारे में चिकित्सा शिक्षा अधिनियम लागू होता है लेकिन उसमें भी केस टू केस किसी गंभीर मरीज को देखने की या उसके उपचार की अनुमति मेडिकल कॉलेज के डीन से लेनी होती है और मरीज के बारे में संपूर्ण विवरण भी मेडिकल कॉलेज में जमा कराना होता है, लेकिन शिवपुरी में इस तरह की कोई स्थिति नजर नहीं आ रही। यहां तमाम डॉक्टर मनमाने ढंग से निजी प्रैक्टिस में तल्लीन है। डॉ एसएस तोमर, और डॉ शैली सेंगर क्रमश: जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में सेवारत होने से इस आदेश के दायरे मेंं आते हैं। यहां प्रशासन के सामने शासनादेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस समय सिद्धिविनायक अस्पताल का मामला प्रशासनिक जांच के दायरे में है ऐसे में यह लाजमी हो जाता है कि जिला प्रशासन इस तथ्य को भी जांच मे ले की निजी अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर किस आदेश के तहत धड़ल्ले से सेवाएं दे रहे हैं अपने निजी परीक्षण केंद्र और क्लीनिक संचालित और बिना वैधानिक अनुमति के ये कैसे निजी अस्पतालों में पट्टिकाएं लगा कर नियमित आपरेशन तक कर रहे हैं।
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