शिवपुरी। शहर के सिद्धिविनायक अस्पताल में रविवार को तब जोरदार धमाका हुआ जब करेरा की पूर्व विधायक शकुंतला खटीक ने रोते हुए आरोप लगाया कि उनकी बहू मधु खटीक को प्रसव के लिए 14 तारीख को भर्ती कराया गया था और 15 की रात को सामान्य प्रसव के दौरान बच्चा बाहर आने के बावजूद बच्चेदानी की थैली फाड़ दी गई और बाद में डॉक्टर ने आधी रात के बाद सीजर ऑपरेशन कर दिया। इस आरोप के सामने आने के बाद सनसनी दौड़ गई। मंगलवार को पूर्व विधायक शकुंतला खटीक बीजेपी अध्यक्ष राजू बाथम, विधायक वीरेंद्र रघुवंशी और बीजेपी नेता विजय शर्मा आदि के साथ कलेक्टर अक्षय सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल से मिलीं। उन्हें ज्ञापन देते हुए कहा कि डॉ सुनील तोमर और डॉक्टर शैली सेंगर के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए। क्योंकि उन्होंने उनकी बहू का सामान्य प्रसव जानबूझकर सीजर कर दिया है इससे उसकी जान जा सकती थी।
कलेक्टर ने कहा टीम करेगी जांच
इस बारे में जब धमाका ने कलेक्टर अक्षय सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि वह टीम का गठन करने जा रहे हैं जो जांच करेगी कि इस मामले की हकीकत क्या है।
इस बारे में जब धमाका ने कलेक्टर अक्षय सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि वह टीम का गठन करने जा रहे हैं जो जांच करेगी कि इस मामले की हकीकत क्या है।
सभी अस्पताल ध्यान रखें लापरवाही न हो: कलेक्टर
कलेक्टर ने कहा कि सभी निजी अस्पताल संचालकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि मरीजों को स्पष्ट तौर पर सारी बात बताने के बाद उनसे हस्ताक्षर कराना चाहिए। सिर्फ हस्ताक्षर करा लेना पर पर्याप्त नहीं है। बल्कि जो इलाज किया जा रहा है उसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाना जरूरी है। सिर्फ हस्ताक्षर कराना पर्याप्त नहीं, यदि ऐसा हुआ और कोई गड़बड़ी हुई ओर इस तरह की लापरवाही किसी भी अस्पताल में पाई गई तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सिंधिया से भी की फरियाद
पूर्व विधायक शकुंतला खटीक, केंद्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया की बेहद करीबी हैं। उन्हीं के दम पर वे विधायक में बनीं थी। प्रसव केस के मामले को लेकर उन्होंने अपनी गुहार सिंधिया से भी लगाई। जिसके बाद सिंधिया ने कलेक्टर अक्षय सिंह से बात की है और पूरे मामले में ठोस नतीजा सामने लाने की बात कही है।
अस्पताल से मरीजों का उठा विश्वास!
कुल मिलाकर पूरा मामला तूल पकड़ गया है और अस्पताल प्रबंधन हटो बचो में जुट गया है। अपनी गिरती हुई साख को बचाने के लिए वह पुराने मरीजों को सामने लेकर आ रहा है और उनकी दलीलें पेश की जा रही है कि सिद्धिविनायक में इलाज कराया तो बल्ले बल्ले हो गई जबकि हालात यह है कि भ्रूण परीक्षण के जो आरोप पहले उछले थे उसके बाद से अस्पताल के पलंग खाली नजर आते हैं और मरीजों का भरोसा उठ गया है! जैसे तैसे अस्पताल पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही थी लेकिन पूर्व विधायक की बहू के सामान्य प्रसव की जगह सीजर कर दिए जाने के आरोपों के बीच अस्पताल इस सदमे से कैसे उबर पाएगा यह समझ से परे है।

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