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नर्मदा नदी नही समग्र संस्कृति का प्रमाण है: पुरुषोत्तम गौतम

बुधवार, 5 जनवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
पाठक मंच शिवपुरी की मासिक समीक्षा गोष्ठी सम्पन्न
शिवपुरी। साहित्य अकादमी संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल से सम्बद्ध पाठक मंच शिवपुरी की मासिक समीक्षा गोष्ठी केंद्र संयोजक आशुतोष शर्मा ओज के निवास पर सम्पन्न हुई,जिसमे वरिष्ठ साहित्यकार पुरुषोत्तम गौतम,लेखक चिंतक,वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव,नेत्र चिकित्सक श्रेष्ठ गजलकार डॉ एच पी जैन व सुरेश दुबे मुख्य रूप से समीक्षक  के रूप में उपस्थित रहे।
पाठक मंच द्वारा प्रदाय लेखिका डॉ रंजना अरगड़े द्वारा हिंदी अनुवादित पुस्तक तत्वमसि की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार पुरुषोत्तम गौतम ने कहा कि डॉ रंजना अरगड़े ने इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद किया है,और ये इस पुस्तक का चौथा संस्करण है,पूरी कथानक वेदांत के सूत्रों पर आधारित ये पुस्तक है,लेखक सूत्रधार के रूप में मौजूद है,जिसमे उसका स्पष्ट मत है,सनातन संस्कृति समग्र मानवता को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है,लेखक जब स्वयम के अस्तित्व को जानने के लिए नर्मदा नदी की परिक्रमा करता है,उससे जुड़ी हुई घटनाओं को प्रस्तुत किया गया है,नर्मदा मात्र नदी नही अपितु भारतीय संस्कृति का अनुपम दर्शन है इसे ही प्रस्तुत किया गया है,पुस्तक बार बार पढ़ने योग्य है,इसे पढ़ने से संस्कृति के विराट दर्शन प्राप्त होते है।
स्वदेशी के अनुयायी सुरेश दुबे के द्वारा कामना सिंह के द्वारा लिखित पुस्तक पद्म अग्नि की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सिंघल दीप का उल्लेख करते हुए भारतीय नारी की स्थिति का वर्णन पुस्तक में किया है,पुस्तक रूढ़ियों को तोड़ते हुए स्त्री के मनोभावों को प्रकट करती है,जिसके लिए इतिहास को माध्यम बनाया गया है,लेकिन इतिहास का विशद वर्णन नही है।
युवा कवि आशुतोष ओज ने भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा लिखित लेख संग्रह कुछ नीति कुछ राजनीति की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि उक्त पुस्तक में गांधी ही मूल में है,उनके विचारों से समाज को जोड़ने और वर्तमान परिवेश में राजनीति में उन विचारों की प्रासंगिकता को स्प्ष्ट लेखक ने किया है,पत्रकारों के लिए सर्वोदय पत्रकारिता लेख में लेखक ने गांधी के विचारों को उल्लेखित करते हुए कहा है कि यदि पत्रकारिता सेवा है तो पत्रकार सेवक हुआ,और वह किसी उपलब्धि के लिए नही बल्कि समाज मे सेवा के भाव को स्थापित करने के लिए हर जगह दौड़ पड़ता है।
वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक गजलकार डॉ एच पी जैन ने धारा नामक चरित्र के माध्यम से समाज मे व्याप्त विकृतियों को उजागर करते हुए इन विकृतियों को समाप्त करने में पुस्तको के महत्वपूर्ण योगदान पर विचार प्रस्तुत किये।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद भार्गव ने इस अवसर पर कहा कि विश्व मे जो अराजकता बढ़ रही है,उसे नियंत्रण करने का सामर्थ्य केवल साहित्य में ही है,हमारी नदी,तालाब,पहाड़,पेड़,सब हमारी संस्कृति से जुड़े हुए है,और साहित्य ही है जो हमे प्रकृति से एकाकार कराता है,दिशा देता है।साहित्य में से हमे उन वास्तविक मूल्यों की खोज करते हुए सभ्य समाज की स्थापना की और तेज गति से बढ़ना चाहिए,साहित्य ही समाज का दर्पण होता है।
गोष्ठी के उपरांत युवा कवि आशुतोष ओज की प्रथम काव्य कृति को आशुतोष ने उपस्थित समस्त साहित्यकारों को सादर सप्रेम एक एक करके भेंट की।
गोष्ठी में गोविंद अनुज,राम पंडित,याकूब साबिर,प्रदीप अवस्थी,राकेश मिश्रा,शरद गोस्वामी,जयपाल जाट कोलारस केंद्र संयोजक पाठक मंच,सलीम बादल,योगेंद शुक्ल,विकास शुक्ल प्रचंड,राजेश गोयल,मयंक राठौर, आशीष खटीक,आदि साहित्यकार मौजूद रहे।
गोष्ठी का संचालन सलीम बादल ने तो आभार ज्ञापित प्रदीप अवस्थी साधक ने किया।

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