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मकर संक्रांति: बुंदेलखण्डी भाषा में कवि मंसूरी जी का लिखा लोकगीत

बुधवार, 12 जनवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
14 जनवरी 2022 मकर संक्रान्ति मङ्गलमय हो।
आनंद लीजिये, 
बुंदेलखण्डी भाषा में कवि मंसूरी जी का लिखा लोकगीत        
★आ गई-आ गई,बुड़की आ गई,कैसी               नौनी बेरा !!
नदियन,ताल,तलईंयन,गलियन,गब रये है   लमटेरा !!
★घर-घर महक मगौरन की है,बने ठडूला     प्यारे !!
खुरमी,सेव,तिलीके लडुआ, घड़िया घुल्ला न्यारे !!
★भरोट्रैक्टर में घर भर कौं,
जा रये बुड़की देबे !!
पूड़ी लुचई,पपरिया भर लई,दो टुकना में खैबे ।।
★मंसूरी संगई में चल दये,
होतइ भोर सबेरा !!
आ गई-आ गई बुड़की आ गई, कैसी नोनी बेरा !!     

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