आनंद लीजिये,
बुंदेलखण्डी भाषा में कवि मंसूरी जी का लिखा लोकगीत
★आ गई-आ गई,बुड़की आ गई,कैसी नौनी बेरा !!
नदियन,ताल,तलईंयन,गलियन,गब रये है लमटेरा !!
★घर-घर महक मगौरन की है,बने ठडूला प्यारे !!
खुरमी,सेव,तिलीके लडुआ, घड़िया घुल्ला न्यारे !!
★भरोट्रैक्टर में घर भर कौं,
जा रये बुड़की देबे !!
पूड़ी लुचई,पपरिया भर लई,दो टुकना में खैबे ।।
★मंसूरी संगई में चल दये,
होतइ भोर सबेरा !!
आ गई-आ गई बुड़की आ गई, कैसी नोनी बेरा !!

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