लुकवासा। भगवान श्रीराम ने अपने जीवन में अनेकों कष्ट सहे पर कभी भी अपना धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा क्योंकि धर्म का त्याग करने से ही मनुष्य का पतन हो जाता है और भगवान श्रीराम ने शिक्षा देते हुए मनुष्यों को बताया कि अपने जीवन में कितना भी कष्ट आ जाए पर कभी भी धर्म को नहीं त्यागना चाहिए आजकल के मनुष्य थोड़ी सी विपत्ति आने पर ही धर्म का मार्ग छोड़ देते हैं प्रभु श्री राम ने बताया कि कभी भी मनुष्य को जीवन में दुखी नहीं होना चाहिए और ना ही नकारात्मकता को जगह देना चाहिए क्योंकि जो मनुष्य अंदर से टूट जाता है उस व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है अपने अंदर के पुरुषार्थ को कभी भी कमजोर नहीं करना चाहिए यह प्रवचन लुकवासा के समीप ग्राम आनंदपुर में चल रही भागवत कथा के दौरान पांचवे दिन आचार्य बृजभूषण महाराज ने अपनी कथा के दौरान दिए और उन्होंने बताया कि श्री राम धर्म की सीमा है और भरत प्रेम की सीमा है आचार्य जी ने सुंदर केवट प्रसंग की कथा कहीं और सुनाया की केवट भगवान का बहुत बड़ा भक्त था जिसने अनुराग सहित भगवान के चरण पखारे और अपने पितरों को पार किया और स्वयं का भी उद्धार किया अपनी नैया से भगवान को पार किया केवट छोटी समाज में जन्म लिया लेकिन भगवान के चरणों में उसका अनुराग था तो भगवान ने उसकी इच्छापूर्ण की क्योंकि भगवान समदर्शी हैं और उसको निर्मल भक्ति का वरदान दिया इस कथा का आयोजन समस्त ग्रामवासी आनंदपुर वाले करवा रहे हैं एवं इस आयोजन में पंच कुंडीय महायज्ञ एवं श्री राम जानकी मंदिर की प्रतिष्ठा का आयोजन रखा गया है यह आयोजन 26 जनवरी तक होगा।

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