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अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी की रपट, ऊर्जा से सराबोर माँ नर्मदा के तट

सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
इंदौर। हिंदी साहित्य भारती, इंदौर जिला इकाई,म.प्र., पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, देवी अहिल्या. वि. वि., इंदौर तथा हिंदी प्रकोष्ठ,नागालैंड विश्वविद्यालय लुमामी के संयुक्त तत्वाधान में 'आदि नदी नर्मदा के शक्ति स्थल' विषय पर एक ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का गरिमामय आयोजन goole meet पर सम्पन्न हुआ, जिसमें विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की। 
 कार्यक्रम के प्रारंभ में इन्दौर साहित्य भारती की अध्यक्ष डॉ. कला जोशी ने स्वागत भाषण देते हुए संगोष्ठी की सार्थकता को भी रेखांकित किया। अतिथि परिचय श्री अरूण अपेक्षित संयुक्त महामंत्री मालवाप्रांत, श्री विजय सिंह चौहान प्रदेश मंत्री, हिंदी साहित्य भारती तथा सुश्री आराधना ने दिया।
 कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती कांता बेगड़ ने अपने अनुभव साझा करते हुए सरस पावन भावधारा से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए आपने कहा कि यदि अंतर में तमस भरा हो तो बाहर दीप जलाना व्यर्थ है।बेगड़ जी की रचनाधर्मिता पर प्रश्न के उत्तर में कहा कि जिसकी जैसी आंतरिक संरचना होती है,वैसी ही काव्य भाषा बन जाती है। बेगड़ जी अत्यंत सहज, सरल, सौंदर्य के धनी थे इसीलिए उनका साहित्य भी सरस सुंदर है। आपने सभी से आग्रह किया कि अपने जीवन काल में नर्मदा के तट पर एक वृक्ष अवश्य लगाएं और नर्मदा के प्राकृतिक पर्यावरण को बचाएं।
डॉ स्नेहलता श्रीवास्तव अध्यक्ष, हिंदी साहित्य भारती म.प्र.ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि अमृतमय नर्मदा मात्र एक नदी नहीं है, वह संस्कृति, लोकविश्वासों, सामाजिक परंपराओं और पावन भावों की प्रवाहिनी है। यह प्रकृति के साहचर्य का आचमन है, परम सत्य का लीलामय आनंद और जागृत सौंदर्य है। जब हम मांँ नर्मदा को सर्वस्व समर्पण कर देते हैं, तो सारा अहंकार  समाप्त हो जाता है। हमारा मन नर्मदा के दर्शन मात्र से दृढ़ विश्वासी बन जाता है और सारी प्रतिकूलताएँ, अनुकूलताओं में बदल जाती हैं।
सारस्वत अतिथि के रूप में इंग्लैंड की जय वर्मा जी ने नर्मदा के भौगोलिक और पौराणिक स्वरूप का गरिमामय सुंदर शब्द चित्र उपस्थित करते हुए कहा कि नर्मदा विश्व की प्राचीनतम नदी है। इसके पवित्र तट अनुपम शक्ति के स्रोत हैं। 
मुंबई से आमंत्रित वक्ता श्री राजेश जी आंँधे ने अपनी ओजस्वी वाणी में पौराणिक ज्ञान और वर्तमान स्थितियों का संयोजन करने वाले अपने अनुभव से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आपने मांडिव ऋषि की गुफा के चमत्कारिक अनुभव से रोमांचित कर दिया। परमहंस आश्रम मोरटक्का की आध्यात्मिक अनुभूति को साझा किया और उस क्षेत्र के तपोबल का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया। साथ ही काली बावड़ी की दिव्य भूमि पर पावन ज्योति के दर्शन करवा दिए।आपका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक ज्ञान का अनुपम साक्षात्कार बहुत ही लाभदायक रहा। 
अजरबेजान से सायदा मिर्जायावा ने नर्मदा के सौंदर्य को सभा में जीवंत कर दिया आपने कहा कि प्रकृति की सुंदरता ही हमारे जीवन के रंग हैं। यदि हम प्रकृति के सौंदर्य का, उसके रंगों का दर्शन नहीं करते तो हमारा जीवन रंगहीन हो जाता है। प्रकृति के सानिध्य में हम नई ऊर्जा पा जाते हैं। नर्मदा ने तो प्राचीन काल से ही लोककला और शिल्प को सौंदर्य और गति प्रदान की है। आपने सहभागिता और सामुदायिक प्रयास और दायित्व भाव से नर्मदा और पर्यावरण दोनों के संरक्षण का आव्हान किया।
मॉरीशस से वैदिक धर्म के प्रचारक पुष्पा जी ने नर्मदा स्तुति के माध्यम से नर्मदा के सौंदर्य का प्रभावशाली वर्णन किया।
मुंबई के श्री सतीश अनंत चुरी जी ने सभी पुराणों में वर्णित नर्मदा महत्व की सुंदर प्रस्तुति देते हुए नर्मदा की प्राचीनता को सिद्ध किया। साथ ही भौतिक शास्त्रीय आधार पर पी.एच. वैल्यू का विश्लेषण प्रस्तुत कर नर्मदा जल की महत्ता को स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक प्रमाणित किया। आपने व्रत के  वैज्ञानिक पक्ष को भी सरल तरीके से समझाया। आपने ज्ञानवर्धक, विज्ञान आधारित व्याख्यान में हमारे ऋषि वैज्ञानिकों के अनुपम ज्ञान की झाँकी प्रस्तुत की। आभार प्रदर्शन डॉ सोनाली नरगुंदे विभागाध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने किया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन रजनी झा, मीडिया प्रभारी इंदौर ने किया।
डॉ स्नेहलता श्रीवास्तव।
अध्यक्ष, हिन्दी साहित्य भारती म.प्र.।

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