शिवपुरी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिवपुरी द्वारा शनिवार को माधव चौक चौराहा पर विराट छात्र प्रदर्शन करते हुए DMK सरकार के मुख्यमंत्री का पुतला जलाया जिसमे जानकारी देते हुए प्रांत छात्रा प्रमुख अनुप्रिया तंवर ने बताया कि तमिलनाडु के तंजावुर में कक्षा 12 की छात्रा लावण्या ने ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर होने के बाद खुदकुशी कर ली। खुदकुशी के प्रयास के बाद उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया लेकिन उस पर इलाज का कोई असर नहीं हुआ। जनवरी 19 बुधवार को तंजावुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। 17 वर्षीय लावण्या तंजावुर में सेंट माइकल्स गर्ल्स होम नामक एक बोर्डिंग हाउस में थी। एक वीडियो सामने आया है जिसमें लावण्या ने कबूल किया कि उसे लगातार डांटा जाता था और हॉस्टल वार्डन द्वारा हॉस्टल के सभी कमरों को साफ करने के लिए भी कहा जाता था।
ईसाई धर्म अपनाने के लिए किया गया मजबूर
लड़की ने आरोप लगाया कि उसे लगातार ईसाई धर्म अपनाने के लिए भी मजबूर किया गया। इन घटनाओं से परेशान होकर युवती ने खुदकुशी के प्रयास में कीटनाशक दवा खा ली। अरियालुर के रहने वाले लावण्या के पिता मुरुगनंदम को 10 जनवरी को सूचित किया गया था कि उनकी बेटी को 9 जनवरी को उल्टी होने और पेट में तेज दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुरुगनंदम ने लावण्या को तंजौर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिफ्ट कर दिया।
जब उसे होश आया तो उसने डॉक्टरों को अपनी पीड़ा और आत्महत्या के प्रयास के बारे में बताया। इसके बाद, डॉक्टरों ने तिरुकट्टुपल्ली पुलिस को सूचित किया। पुलिस लावण्या से पूछताछ करने आई। पूछताछ के आधार पर पुलिस को पता चला कि बोर्डिंग स्कूल की वार्डन ने लावण्या को प्रताड़ित किया और उसे ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने वार्डन सकायामारी (62) को गिरफ्तार कर लिया। लावण्या की बुधवार की रात 19 जनवरी को मौत हो गई।
आगे बताया कि जिस प्रकार से तमिलनाडु में ईसाई मिशनरियों के स्कूल में धर्मांतरण के लिए 17 वर्षीय लावण्या को प्रताड़ित किया गया और उस कारण से उसने आत्महत्या कर ली। तमिल नाडु की स्टालिन सरकार का ऐसा दोगलापन है कि एक तरफ जिस महिला को इस केस में अरेस्ट किया गया था, उसकी बेल पर कैबिनेट मंत्री ने स्वागत किया और वहीं दूसरी तरफ़ लावण्या के लिए न्याय के लिए लड़ रहे विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री सहित अन्य कार्यकर्ताओं की असंवैधानिक गिरफ्तारी की।
तमिलनाडु सरकार न्याय विरोधी सरकार है। शुरू से ही लावण्या को न्याय न मिले उसके लिए प्रयास कर रही है, यह कहना की लावण्या ने परिवार से तनाव मिलने के कारण आत्महत्या की और CBI जांच रुकवाने की मांग करना यह सब इसका प्रमाण देती है ।
तमिलनाडु पुलिस द्वारा 14 फ़रवरी को मुख्यमंत्री आवास के सामने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया। उन्हें पहले एक मैरिज हॉल कल्याण मंडपम ले जाया गया और वहां लंबे समय तक रखा गया। रात 11 बजे उन्हें एसडीएम (ड्यूटी मजिस्ट्रेट) के सामने पेश किया गया जहां मामले की बहस शुरू हुई। सुनवाई 12:30 बजे तक चली जिसके बाद उन्हें 14 दिनों के न्यायिक रिमांड पर भेजने का आदेश दिया गया।
अभाविप के कार्यकर्ता रात भर दंडाधिकारी की मौजूदगी में रहे। रात 12 बजे के बाद भी चली बहस के बाद सौदापट मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 36 कार्यकर्ताओं में से 3 को नाबालिग होने के कारण रिहा कर दिया और बाकी 33 जिनमें राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी, राष्ट्रीय मंत्री मुथु रामलिंगम और अन्य सहित 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत पर भेजा गया।
उन पर आईपीसी की धारा 353 - लोक सेवक पर हमला, जो गैर जमानती अपराध है, का झूठा आरोप लगाया गया है। विरोध पूरी तरह से शांतिपूर्ण था और किसी भी छात्र द्वारा एक खरोंच तक नहीं किया गया था जैसा कि सबूत के रूप में उपलब्ध वीडियो में स्पष्ट है।
डी॰एम॰के॰ के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने अदालत में अपना चेहरा बचाने की बहुत कोशिश की। जब उनके अधिवक्ता अपनी दलीलों को स्थापित करने में विफल रहे, तो वे आधी रात को राज्य के लोक अभियोजक को अदालत में लाए। तब भी जब तमिलनाडु डीएमके सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कानूनी दलीलों से अपनी बातों को साबित करने में विफल रहे, डीएमके के कार्यकर्ता चेन्नई में उप-मंडल मजिस्ट्रेट कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए देर रात अदालत के सामने जमा हुए।
डीएमके सरकार लोकतंत्र की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। सरकार के प्रतिशोध के कारण सभी कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और गलत तरीके से आरोपित किया गया है।
लावण्या को न्याय दिलाने और हमारे कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग को लेकर एबीवीपी ने पूरे देशभर के राज्य केंद्रो पर प्रदर्शन किया । अभाविप के जिला संयोजक मयंक राठौर ने बताया कि अभाविप का प्रत्येक कार्यकर्ता जब तक न्याय नहीं मिल जाता तब तक लड़ाई लड़ेगा
एक लोकतान्त्रिक देश में जबरदस्ती मतान्तरण कराने के क्रम में लावण्या को मृत्यु के गर्त में धकेला गया। आखिर जबरन और लालच देकर मतान्तरण की आवश्यकता क्यों है?
कब तक मिशनरियों का यह खेल चलता रहेगा?
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओ की गिरफ्तारी क्यू?

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