शिवपुरी। ग्राम धंधेरा (रन्नोद) में श्री हनुमान जी मंदिर पर चल रही श्रीमद भागवत कथा में आज विश्राम दिवस की कथा का पंडित वासुदेव नंदिनी भार्गव ने बखान करते हुए सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया। सुदामा कौन है इस बात पर विचार करना और सुदामा के बारे में जानना ही कथा कहलाती है। सुदामा वह नहीं होता जो निर्धन हो अपितु वहां होता है जिसने जीवन मे सुदाम कमाया हो अच्छा धन कमाया हो सुदामा चरित के द्वारा भगवान के द्वारा की गई ब्राह्मण भक्ति को उद्धृत किया। एवं शुकदेव पूजन के साथ कथा का विश्राम हुआ, यदि देखा जाए तो विश्राम का अर्थ समापन नही होता क्योंकि कथा का केवल प्रारंभ होता विराम नही। विश्राम से अर्थ होता है कथा सुनकर हमारे मन में चल रही उद्वेगनाओ क्रोध मोह ईर्ष्या हे विश्राम मिलकर परम शांत स्वरूप भगवान का ह्रदय में स्थापित हो जाना ही कथा का विश्राम कहलाता है।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें