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हमारी संस्कृति व संस्कृत सर्वश्रेष्ठ है: राजीव लोचन शुक्ला

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने मनाया अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
शिवपुरी। निरंतर छठवें वर्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला शिवपुरी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस होटल मातोश्री में  एक छत के  नीचे भारत की भाषा प्रतिनिधियों को एकत्रित कर लघु भारत की संकल्पना साकार करते हुए मनाया,स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव उपलक्ष्य में इस वर्ष अनूठा आयोजन रहा,अमृत महोत्सव पर केंद्रित कार्यक्रम रहा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आई टी बी पी दूरसंचार के डी आई जी राजीव लोचन शुक्ला,विशिष्ठ अतिथि विद्वान प्रेम शर्मा,मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक के बी वर्मा,मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के विभाग कार्यवाह राजेश भार्गव व अन्य अतिथियों में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव व आलोक इन्दोरिया मंचासीन रहे।
इस अवसर पर सर्वप्रथम भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व ज्योति मजेजी के गीत पश्चात कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ,तत्पश्चात अतिथि स्वागत के बाद अतिथि परिचय जयपाल जाट व स्वागत उद्वोधन जिलाध्यक्ष प्रदीप अवस्थी के द्वारा दिया गया।अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रान्त महामंत्री आशुतोष शर्मा ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की,मुख्य अतिथि राजीव लोचन शुक्ला ने कहा कि बच्चे को जब उसकी माँ जो सिखाती है वही बच्चा सीखता है,माँ से ही मातृभाषा प्राप्त होती है,हमारी मूल भाषा हमारी संस्कृति संस्कृत आधारित है,जो विश्व मे सर्वश्रेष्ठ है,आक्रान्ताओ के द्वारा विश्व की कल्याणकारी भाषा पर भी आक्रमण किये,भारत मे उर्दू,तमिल,तेलगु,कन्नड़ आदि भाषाओं का मूल उद्गम संस्कृत ही है।परन्तु हम धीरे धीरे अपनी भाषा से दूर हो रहे है,अंग्रेजी के कारण हमारी मातृभाषा दूसरे दर्जे की हो गयी है,मैकाले और मार्क्स की इस पद्धति से दूर होकर ही हम अपनी मातृभाषा को बचा सकते है।
प्रेम शर्मा ने कहा कि हमारी मातृभाषा हमारी पहचान है,उसका ही अधिकाधिक उपयोग होना चाहिए।
राजेश भार्गव ने कहा कि हमारा देश त्योहारों का देश है,त्योहारों के माध्यम से हम प्रसन्न रहते है,इसी कड़ी में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में उक्त आयोजन अमर बलिदानियों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का प्रयास सिद्ध हो,जब हमे हमारी संस्कृति मातृभाषा का अधिकाधिक उपयोग का ज्ञान होगा तभी तो हम सच्चे भारतवासी होंगे,6900 से भी अधिक भाषाएं हुआ करती थी आज केवल 1352 शेष है,भाषाओ को बचाने की दिशा में कदम बढ़ाना उनका न सिर्फ संरक्षण बल्कि संवर्धन करना ही इस आयोजन का मूल उद्देश्य है।
मेडिकल कॉलेज शिवपुरी के अधीक्षक के बी वर्मा ने विविध भाषा विविध प्रान्त अनेकता में एकता वाला केवल हमारा देश भारत ही है।
आलोक इन्दोरिया ने कहा कि हम बचपन से नारे लगा रहे है अनेकता में एकता भारत की विशेषता,विविध भाषा विविध प्रान्त सबसे ऊपर मेरा देश,उन नारो की सार्थकता इस तरह के आयोजन से ही होती है।लघु भारत की संकल्पना देख कर मन प्रसन्न है।
प्रमोद भार्गव ने कहा कि मातृभाषा का व्यापक महत्व है,भारत मे सर्वाधिक भाषाएं बोली जाती है अतः यही इसका सर्वाधिक महत्व है,धर्मपाल जी के बाद में किसी ने भी भाषा क्षेत्र में कार्य नही किया हमारी संस्कृति के मूल को नष्ट होने से बचाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है,देश की वैज्ञानिकता को उनने समझा और 11 खंडों में 500 पेज की पुस्तक लिखी उसे हम पढ़े और पढ़ाये तो भाषा के क्षेत्र में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
वक्ताओं से पूर्व संस्कृत भाषा मे सुरेश शर्मा,सिंधी भाषा मे अनुप्रिया तंवर,महेश हरियाणी,पंजाबी बॉबी सरदार,मणिपुरी में मनोज मथाई,केरला में लालन पी बी,बंगाली में तन्मय विश्वास,तमिल में अनीश जी,तेलगु में मोहम्मद ताजुद्दीन,गुजराती में डी प्रवीण,मराठी में योगिता झोपे,मोहम्मद सुलेमान,रविन्द बडगुजर और उर्दू में याकूब साबिर ने अपने विचार रख होटल मातोश्री के कक्ष में एक छत के नीचे प्रतिवर्ष की भांति लघु भारत की संकल्पना को साकार किया,लघु भारत के दर्शन कराए।कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांत महामंत्री आशुतोष शर्मा ने तो आभार प्रदर्शन विकास शुक्ल प्रचण्ड ने किया।इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के विभाग संपर्क प्रमुख दिलीप शर्मा,गोपाल गौर,उमेश भारद्वाज,विशाल भसीन भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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