सामाजिक न्याय के लिए लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा तथा प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा की जानी आवश्यक है: डॉ पाण्डेय
ग्वालियर। सामाजिक संस्था रमन शिक्षा समिति द्वारा रविवार को अशोक कालोनी, नदी पार टाल मुरार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी डॉ॰ केशव पाण्डेय थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में आबकारी विभाग के डॉ॰ लोकेश तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार लालता प्रसाद दोहरे, वरिष्ठ समाजसेवी धनीराम कुशवाह एवं हरिओम गौतम उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बोलते हुये हरिओम गोतम ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 नवम्बर, 2007 को 20 फरवरी को प्रतिवर्ष विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाये जाने को मंज़ूरी दी। पहली बार 2009 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ॰ केशव पाण्डेय ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा तथा प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा की जानी आवश्यक है। सामाजिक न्याय तभी सुनिश्चित हो सकता है जब लोगों को लिंग, आयु, नस्ल, धर्म अथवा संस्कृति के कारण समस्याओं का सामना न करना पड़े।
इस अवसर पर डॉ॰ लोकेश तिवारी
ने कहा कि दुनिया में लोगों के बीच कई तरह के भेदभाव पैदा हो रहे हैं, जो कि लोगों के बीच एक दूरी का कारण बन गया हैं, इन भेदभाव के कारण कई लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं दुनिया में इस तरह की बुराइयों को खत्म करने के लिए हर साल ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’ मनाया जाता है।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए लालता प्रसाद दोहरे ने कहा कि भारत के सविधान को बनाते समय देश में सामाजिक न्याय का खासा ध्यान रखा गया था, वहीं इस वक्त हमारे देश के सविधान में कई ऐसा प्रावधान मौजूद हैं, जो कि सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।

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