कशीर, चिंगारी की विरासत व एकदा भारतवर्ष की हुई समीक्षा
शिवपुरी। संस्कृति विभाग साहित्य अकादमी भोपाल से सम्बद्ध पाठक मंच शिवपुरी की नियमित मासिक समीक्षा गोष्ठी बी आर सी सी भवन माधव चौक पर आयोजित की गई,जिसमे हेमंत शर्मा द्वारा लिखित एकदा भारतवर्ष,नर्मदा प्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित चिंगारी की विरासत व सहना विजय कुमार द्वारा अनुवादित कशीर की समीक्षा क्रमशः प्रमोद भार्गव,डॉ एच पी जैन व गोविंद अनुज के द्वारा की गई।
प्रतिभा प्रतिष्ठान नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित उपन्यास कशीर अनुवादक सहना विजयकुमार की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए गोविंद अनुज ने कहा कि कशीर कश्मीर समस्या पर आधारित उपन्यास है,जो सर्वप्रथम कन्नड़ भाषा मे ही लिखा गया था और उसका हिंदी अनुवाद किया गया है,पुराने धार्मिक विचारों के माध्यम से वर्तमान की समस्यायों का निदान ढूढने की कोशिश उपन्यास में की जाती है,उपन्यास का कथानक मूल रूप से कश्मीर में धारा 370 के लागू होने के समय का है,उपन्यास का कथानक जितना आकर्षक है,उपन्यास उतना प्रभावी नही बन सका है।
नर्मदा प्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित चिंगारी की विरासत की समीक्षा रखते हुए डॉ एच पी जैन ने कहा कि स्वर्गीय बाल कवि बैरागी व स्वर्गीयविवेकी राय को समर्पित करते हुए निबंध प्रस्तुत किये गए है,जिसमे लेखक कहते है कि विचार सर्वश्रेष्ठ होते है,विचार ही जुगनू,विचार ही दीपशिखा व विचार ही सूर्य होते है,जो अंधेरे से लड़ने का साहस प्रदान करते है।अलग अलग निबंधों के माध्यम से लेखक ने विभिन्न विचार प्रस्तुत किये है।नर्मदा प्रसाद उपाध्याय नया विचार पैदा करने वाले लेखक है,गागर में सागर भरने की विभिन्न निबंधों के माध्यम से इस पुस्तक में कोशिश की गई है,निबंध पढ़ने लायक है,पढ़ते समय ऐसा लगता है,जैसे नदी बह रही हो और हम बहते चले जा रहे हो।
हेमंत शर्मा द्वारा लिखित एकदा भारतवर्ष की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए प्रमोद भार्गव ने कहा कि उक्त पुस्तक 114 लघु कथाओं का संग्रह है,कहानी के रूप में रचना विकसित की है,जो रोचक भी है,उपदेशात्मक भी है।हर कहानी के नायक हमारी संस्कृति से जुड़े हुए है,उन्ही पात्रों को लेकर नई दृष्टि दी है।सनातन संस्कृति को नवीनता प्रदान किया जाता रहा है, तभी तो वह चिरंतन है।इतिहास को परिलक्षित ,अंत क्रियाओं को प्रस्तुत पुस्तक करती है,कहावत मुहावरों पर ही शीर्षक नाम दिए गए है,सबसे प्राचीन लोकतंत्र भारत का रहा है,प्रमाण प्रस्तुत भी किया है,सुखानुभूति पुस्तक को पढ़कर होती है, सभी संदेश ग्रहण करने योग्य व जीवन को सार्थकता प्रदान करने वाले है।उक्त समीक्षा गोष्ठी में बी आर सी सी अंगद सिंह तोमर अतिथि रूप में व अध्यक्षता के क्रम में सुकून शिवपुरी रहे।तत्पश्चात एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें हेमलता चौधरी,राकेश भटनागर,जयपाल जाट,राम पंडित,याकूब साबिर,गोलू ओझा ने अपना काव्य पाठ प्रस्तुत किया,संचालन आशुतोष आशु ने तो आभार अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष प्रदीप अवस्थी ने ज्ञापित किया।

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