जब तक पेड़-पौधे और वन हैं, तब तक ही धरती पर जीवन हैं कहा रवि गोयल पर्यावरण प्रेमी ने
शिवपुरी। 21 मार्च वनों के महत्व को समझाने और लोगों को जागरूक बनाने के लिए विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता हैं ताकि जंगलों को कटने से रोका जा सके और लोगो को बताया जा सके कि यदि वन – पेड़-पौधे नहीं बचेंगे तो पर्यावरण में असंतुलन आ जाएगा जिससे प्राकृतिक आपदा आने की सम्भावना बढ़ जाती हैं. जब तक पेड़-पौधे और वन हैं, तब तक ही धरती पर जीवन हैं ये कहना था रवि गोयल का जो की शक्ति शाली महिला संगठन के द्वारा शिवपुरी ब्लॉक के दस गांव में करीब 200 बच्चो को पर्यावरण मित्र बनाकर उनकोजागरूक किया। बड़ोडी में अयोजित प्रोग्राम में लव कुमार वैष्णव ने कहा कि सन् 1971 में पहला विश्व वानिकी दिवस मनाया गया. भारत में वन महोत्सव जुलाई सन् 1950 ई. से ही मनाया जा रहा है. इसकी शुरूआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने किया था. भारत में वनों की इतनी अंधाधुंध कटाई हुई हैं कि लगभग 22% भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व है। दुवे नर्सरी कॉलोनी में आयोजित बाल।मित्रो को पूजा शर्मा ने समझाया की विश्व वानिकी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि सभी देश की सरकारें कड़े से कड़ा क़ानून बनाएं ताकि वनों और जगलों की कटाई पर रोक लग सके. सभी देशों में तरक्की के नाम पर पेड़ों, वनों और जगलों की खूब कटाई हुई हैं, इसलिए यह जरूरी हैं कि जन-जन को जागरूक बनाया जाय और सभी देश के सभी लोग वृक्षारोपण में अपना योगदान दें.
वर्तमान समय की बात करें तो प्रदूषण एक सबसे बड़ी समस्या हैं. इसका प्रमुख कारण वनों और जगलों की अंधाधुंध कटाई हैं जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, प्राकृतिक आपदा, मौसम में बदलाव आदि प्रमुख समस्याएं हुई हैं इसलिए यह जरूरी हैं कि जन-जन जागरूक हो और पेड़-पौधों को लगायें. अब सभी लोग शिक्षित और जागरूक हैं तो यह हम सबकी जिम्मेदारी बनती हैं कि जंगलों और वनों को संरक्षण प्रदान करें और सरकार की मदद करें ताकि जंगलों की अवैध कटाई पर रोक लग सके. भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद के. एम. मुंशी ने कहा था कि “वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन हैं. सुरवाया में अयोजित प्रोग्राम में धर्मगिरि गोस्वामी ने कहा कि
हर शिक्षित और जागरूक व्यक्ति को यह जानना जरूरी हैं कि वनों से क्या-क्या लाभ होते हैं ताकि वो इन्हें सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सके. पेड़ कार्बनडाई ऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ते हैं जो ऑक्सीजन की वजह से ही इस पृथ्वी पर जीवन सम्भव हैं. पेड़ हैं तो मानव हैं. वन और जंगल, जंगली जीवों को संरक्षण, भोजन प्रदान करते हैं वनों की अधिक कटाई की वजह से कई जानवरों की प्रजाति लुप्त हो रही हैं. वनों के काटने से हानि
आजकल बंद डब्बों में हवा (ऑक्सीजन) बिकने लगी हैं इसका मुख्य कारण “वायु प्रदूषण” हैं. जो हमें मुफ्त में मिल रहा था. अब आने वाले समय में उसके लिए पैसे देने पड़ेंगे तब शायद लोगो को समझ में आएगा कि पेड़-पौधों, वनों और जगलों की सुरक्षा कितनी जरूरी हैं. आने वाली पीढ़ियों को जागरूक बनाएं. सरकार पेड़ों, वनों और जगलों की कटाई पर कड़ा से कड़ा क़ानून बनाये. इसके महत्व को बच्चों के शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय. शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा आज बड़ोदी, दुवे नर्सरी कॉलोनी, सुरवाया,दादौल, बुडीबारोड़, गारीबरोड, चितौरी खूर्द, बिनेगा, चितोरिकला एवम कोयला कॉलोनी में बच्चो को विश्व वानिकी दिवस के बारे में जागरूक कर 200 पर्यावरण मित्र बनाए।

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