शिवपुरी। गीता पब्लिक स्कूल के कृषि संकाय के कक्षा 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों ने कृषि विज्ञान केंद्र पहुंच कर प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों को समझा शिवपुरी कृषि विज्ञान केंद्र के Dr. S.P. Singh ने प्राकृतिक खेती के बारे में बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है | प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवारनाशी का उपयोग नहीं किया जाता। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं उन्हीं का प्रयोग कर खेती की जाती है। इससे रसायनों के हानिकारक प्रभाव से बचा जा सकता है। इस विधि का प्रयोग करने से पर्यावरणीय स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है । इससे भूमि की उर्वरता शक्ति ,जल धारण क्षमता, तथा जलापूर्ति भी बढ़ जाती है तथा मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ जाती है । जिससे जैविक उत्पाद प्राप्त होते हैं, इनकी कीमत अधिक मिलती है। किसानों की आय बढ़ती है । इस खेती का का मुख्य उद्देश्य है कि किसानों की फसल उगाने की लागत को कम करके उनकी आय में वृद्धि करना तांकि किसानों को अधिक लाभ मिले और पर्यावरण स्वस्थ रहें। सन् १९९० के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है।जैविक कृषि में फसलों के उत्पादन में गोबर की खाद (Manure), कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फ़सलो के अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के माध्यम से पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। आज के परिदृश्य में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक जागरूक हो रहे हैं । इसलिए लोग जैविक उत्पादों को अधिक पसंद कर रहे हैं तथा यह उत्पाद महंगे भी बिकते हैं । अतः जैविक खेती के भविष्य को देखते हुए किसानों को जैविक खेती में अधिक लाभ की संभावनाएं है। कृषि विज्ञान केंद्र के इस भ्रमण से विद्यार्थी काफी उत्साहित रहे तथा कृषि को कैसे लाभकारी बनाया जाए यह भी उन्होंने जाना।

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