तिलक की होली
तुम सब हिल-मिल आओ सखी री
खेलें अबीर-गुलाल सखी री
संग-संग खेलेंगे हम होली,
आए जब द्वारे पर टोली
बुराई की होली जली,
फगवा के गीत गाये
होली का नगाड़ा बाजे,
पीला मंगलकारी है,
हरे में है फैली हरियाली
गुलाबी में स्नेह भरा है,
कपोलों पे झूमत है लाली
रंग न लगाओ पानी बचाओ,
पानी की है किल्लत भारी
टूटे न मर्यादा अपनी,
मर न पाए आँख का वारि
रंग में दाम दूने लगिहैं,
चमड़ी पे चकत्ता पड़िहैं
भींजे तन बीमार हुइहैं,
लत्ता भी गीले पड़ जैहैं
अबीर लगा, छोड़ जंजाल सखी री
अबीर में पावनता भारी,
झूमें बच्चे नर-नारी
तिलक बढ़ावे शोभा न्यारी
करे तिलक मालामाल सखी री
डॉ पद्मा शर्मा
प्राध्यापक
एम एल बी महाविद्यालय ग्वालियर

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