शिवपुरी। शिवपुरी जिला न्यायालय के त़तीय अपर सत्र न्यायाधीश शिवकांत ने एक चैक चोरी कर कूटरचना कारित कर अपने हाथों से भरकर चैक को बैंक में प्रस्तुत करने के मामले में आरोपी को संदेह का लाभ देते हुये दोषमुक्त कर दिया है। दोनों पक्षों के तर्क सुुुनने के पश्चात उक्त प्रकरण में समस्त साक्ष्य विश्लेषण के आधार पर न्यायालय का निष्कर्ष यह है कि परिवादी शैलेन्द्र गुप्ता को इस तथ्य के संबंध में विश्वास के योग्य नहीं पाया गया है कि अभियुक्त के द्वारा दिनांक 29.05.14 को परिवादी के कार्यालय से परिवादी का चैक क्रमांक 007638 चोरी किया गया था एवं अभियोजन के द्वारा यह भी सिद्ध नहीं किया गया है कि विवादित चैक प्र.पी.13 पर अभियुक्त का नाम एवं दो लाख रूपये मात्र व दिनांक 10.05.14 संबंधी इबारतअभियुक्त की हस्तलिपि में है। फलस्वरूप यह तथ्य भी सिद्ध नहीं हुआ है कि अभियुक्त के द्वारा परिवादी के चैक क्रमांक 007638 पर दो लाख रूपये अंकित कर उसकी कूटरचना की गई थी एवं उसके द्वारा उक्त चैक कूटरचित होना जानते हुए अथवा विश्वास करने का कारण रखते हुए उक्त चैक का उपयोग कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में किया गया था। अतः अभियुक्त को भा.दं.सं. की धारा 467 एवं 471 दं.प्र.सं. के आरोप से दोषमुक्त किया । आरोपी की ओर से पैरवी अधिवक्तागण परवेज कुर्रेशी व भरत ओझा द्वारा की गयी।
संक्षेप में मामला यह है-अभियुक्त अभय कोेचेटा निवासी न्यू ब्लॉक शिवपुरी द्वारा दिनांक 31.05.2014 के पूर्व परिवादी शैलेन्द्र गुप्ता के कलारगली शिवपुरी स्थित घर से परिवादी के ई.सी.आई.सी.आई. बैंक शाखा शिवपुरी का एक खाली हस्ताक्षरयुक्त चैक क्रमांक 007638, (एतद पश्चात्वि वादित चैक के रूप में संबाेधित) जाे कि मूल्यवान प्रतिभूति हाेना तात्पर्यित हैं, काे चुराकर उसमे दिनांक 0.05.2014 एवं राशि दो लाख रूपये लेख कर उसकी कूटरचना की तथा उक्त चैक, फर्जी एवं कूटरचित होना जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित है, को कपटपूर्वक या बेईमानी से 6 असली के रूप में उपयाेग में लाया गया।

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