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Happy Holi 2022: होली के रंग में रंगीन हुआ देश, मन में उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाएगा 18 को रंगोत्सव

गुरुवार, 17 मार्च 2022

/ by Vipin Shukla Mama
देश के बड़े त्योहारों में शुमार रंग पर्व होली 18 मार्च को मनाया जाएगा। 2 साल के कठिन समय के बाद कोरोना थमने के बीच आई होली इस बार जमकर मनाई जा रही है। मन में उमंग ओर उल्लास के साथ लोग होली मनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। हालांकि देश मे कोरोना से अनेक परिवार गमजदा हैं, जिनके अपने बिछुड़े गए हैं उनकी आंखों में अश्रु हैं। फिर भी लोग होली को सेलिब्रेट कर गम से दूर होना चाहते हैं। 
होली का पर्व उत्साह- आनन्द- उमंग का पर्व है। सारी बुराईयों को होलिका दहन में जलाकर आनन्द के रंग में रंग जाने का नाम ही होली है। होली बसन्त ऋतु का मुख्य पर्व है। यह जीवन में उल्लास और आनन्द का पर्व है, क्योंकि इसके बिना जीवन वीरान है। इसका होना नितांत आवश्यक है। यह जीवन का आवश्यक अंग हैं। इस पर्व में सभी जड़ चेतन- पुष्पित झंकृत पल्लवित होने लगती हैं। सभी आनन्द से गदगद हो जाते हैं। यह सनातनी व्यवस्था का सनातनी जीवन पद्धति का अभिन्न अंग है। 
प्रचलित कथा
होली और होलिका से संबंधित एक कथा प्रचलित है, जिसे नारद पुराण से लिया गया है। 
इस कथा में बताया गया है कि कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। कैसे भक्त प्रहलाद हर कष्टों से छुटकारा पाकर नरसिंह भगवान का आशीर्वाद पाता है। नारद पुराण के अनुसार, आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस था. वह किसी देवी-देवता को ना मानकर खुद को ही भगवान मानता था। वह चाहता था कि हर कोई उसकी पूजा करे। इसी कारण उसके राज्य में हर कोई दैत्यराज हिरण्यकश्यप की ही पूजा करते थे, लेकिन राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था। दैत्यराज के लिए उसका पुत्र ही सबसे बड़डा शत्रु बनता जा रहा था, क्योंकि वह सोचता था कि अगर घर का पुत्र की मेरी पूजा नहीं करेगा तो किसी दूसरे से क्या अपेक्षा रखेंगे।
18 मार्च को मनाई जाएगी होली
होलिका दहन के दूसरे दिन रंगोत्सव होली का त्योहार मनाया जाता है। होली खेलने के रंग की परंपरा प्रतिपदा तिथि में होनी चाहिए। यह पहली तिथि होनी चाहिए महीने की मगर इस बार ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि दूसरे दिन ही यानी कि 18 मार्च को पूर्णिमा दिन में 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगी यानी सूर्योदय में पूर्णिमा ही रहेगी। इसलिए देश में होली का पर्व 19 मार्च को सूर्योदय में मनाया जाएगा, लेकिन काशीवासी अपनी लोक परम्परा को कायम रखते हुए इस पर्व को 18 मार्च को मनाएंगे। अन्य जगह यह पर्व 19 मार्च को मनाया जाएगा।

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