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धमाका बड़ी खबर: आखिर कब सजेंगी बलारपुर में प्रसाद की दुकानें, गेट पर 3 दिन से खड़े हैं दुकानदार

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

/ by Vipin Shukla Mama
पंचमी 6 अप्रैल को है और इसी दिन से सप्तमी तक लगता है मेला
मेले में सैकड़ों प्रसाद की दुकानों को सजाया जाता है
शिवपुरी। नेशनल पार्क की सीमा वाले घने जंगलों में मां बलारी विराजी हैं। दिन में तीन रूप बदलने वाली प्राचीन और ऐतिहासिक मां बलारी के मंदिर में चैत्र नवरात्रि को आस्था का सैलाब उमड़ता है पंचमी से लेकर सप्तमी तक यहां लाखों श्रद्धालु दर्शनों के लिए जाते हैं इन श्रद्धालुओं को माता के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए मंदिर के आसपास सैकड़ों दुकानदार अपनी दुकानें सजाते हैं लेकिन  वन क्षेत्र में नेशनल पार्क
के गेट के बाहर कई दुकानदार अंदर जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं उन्हें नेशनल पार्क के अधिकारी अंदर जाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं। प्रसाद का माता मंदिर में महत्व रहता है सैकड़ों वाहन बस और ऑटो से लेकर पैदल और दोपहिया वाहन वाले मंदिर पहुंचते हैं इन सभी को प्रसाद मिल सके इसके लिए एक दुकानदार अपनी दुकानें सजाते हैं लेकिन 6 अप्रैल को पंचमी होने के बावजूद 5 अप्रैल तक इन्हें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई जिसके नतीजे में बीते 3 दिन से कई दुकान वाले वाहनों में अपना सामान भरकर नेशनल पार्क के गेट के बाहर खड़े हुए हैं। धमाका टीम मौके पर पहुंची तो देखा कि कई दुकानदारों को अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था इधर वन अधिकारियों का कहना था कि अभी तक उन्हें बड़े अधिकारियों ने हरी झंडी नहीं दी है जिसके नतीजे में हम किसी को भी अंदर दुकान लगाने नहीं जाने दे रहे। दुकानदारों का कलेक्टर अक्षय सिंह से अनुरोध है कि वह जल्दी ही दुकान मेले में लगाने की इजाजत दें जिससे पंचमी से लेकर सप्तमी तक उन्हें कुछ व्यापार करने का मौका मिल सके औरमंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को भी प्रसाद आदि के लिए परेशान ना होना पड़े। दुकानदारों का यह भी कहना था कि वे किसी भी तरह की अव्यवस्था नहीं होने देंगे और नियम कायदे से ही अपनी दुकान संचालित करेंगे।
कोरोना के 2 साल बाद लग रहा है मेला
गरीब और अन्य वर्ग के लोग मेले में प्रसाद की दुकानें लगाते हैं जिनका कहना है कि बीते 2 सालों से कोरोना चल रहा था जिसके नतीजे में  मेला नहीं भरा था और वह दुकान भी नहीं लगा पाए थे। इस बार थोड़े व्यापार की उम्मीद है लेकिन यदि समय रहते उन्हें दुकाने नहीं सजाने दी गई तो वे परेशान होंगे। प्रसाद की दुकानें लगाने के लिए उन्होंने बाजार से उधार सामान भी उठाया हुआ है और दुकानों से मिलने वाली राशि के बाद वे उस उधारी को चुकाएंगे।

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