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धमाका एक्सकलुसिव: 'जिस ठंडे पानी को बेचकर लोग बने अरबपति', 'शिवपुरी' के 'कल्ला पान वाले' 'पिलाते हैं फ्री', 'तीखी गर्मी में 50 केन रोज पी जाते हैं प्यासे लोग'

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। बिन पानी सब सून... यह कहावत सच है, अगर पानी न मिले तो मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है। यही वजह है कि पानी की जरूरत बढ़ी तो बिसलरी की बोतल बाजार में आईं। लोग देखते रह गए और 'बिसलरी का मालिक आज धन्नासेठ' है। एक अकेले यही नहीं बल्कि कई लोग पानी बेचकर करोड़पति बन बैठे लेकिन दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पानी पिलाना धर्म समझते हैं, उनके लिये पानी से पैसा कमाना फिजूल बात है। ऐसे लोग अपनी तरफ से जेब खाली करके दूसरों को पेयजल उपलब्ध करवा रहे हैं। हम आज बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के जिला शिवपुरी की जहाँ नगर की थीम रोड स्थित हाजी सन्नू मार्किट में कल्ला पान वालों की दुकान है। नगर का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो 'कल्ला पान वाले' को नहीं जानता हो। मशीन की तरह तेजी से हाथ चलाकर शहर का सबसे बेहतरीन पान कल्ला खिलाकर लोगो का दिल जीत लेते हैं। 'जितने दाम' उससे अधिक का 'दमदार पान' खिलाना, कल्ला की खूबी है। 
चलिये वापस विषय पर लौटकर आते हैं। हम पानी की बात कर रहे हैं। तो आपको बता दें कि कल्ला को एक खास शोक भी है। राह चलते प्यासे लोगों को पानी पिलाना। इसके लिये कल्ला मटके की नहीं बल्कि फिल्टर्ड पैक्ड बड़ी पानी की बोतल (केंटर) उपलब्ध करवाते हैं और निशुल्क जल सेवा हर साल करते है। 
हर साल गर्मी की शुरुआत होते ही कल्ला अपनी दुकान के सामने ठंडे पानी के केंटर मंगवाते हैं। 10 केंटर से हुई शुरुआत तीखी गर्मी में राहगीरों की प्यास बुझाने के लिये 50 केंटर हर दिन तक पहुंच जाती है। टोटल फ्री वह भी चिल्ड वाटर कल्ला अपने खुद के खर्च पर हर साल राह चलते लोगों को पिलाते हैं। धमाका से बात करते हुए कल्ला ने कहा कि उन्हें ऐसा करके आत्मिक शांति और खुशी मिलती है। कल्ला कहते हैं हम कुछ भी नहीं एक इंसान है, वह तो भगवान की मर्जी से हम बीते कई सालों से लोगों की प्यास बुझा रहे हैं। वास्तव में आज के समय में जब पानी बेचने की होड़ लगी है। ऐसे में कल्ला के इस दरियादिली कदम को धमाका सेल्यूट करता है। शुक्रिया कल्ला जी आपको भगवान और ताकत दे कि आप यह काम जारी रख सकें। 
माफ कर देना कल्ला जी
आपको बता दें कि कल्ला इस खबर को लेकर धमाका टीम पर नाराज भी हुए। उनका कहना था हम पानी अपनी इक्छा से एक मानव धर्म मानकर पिलाते हैं। इसलिए किसी प्रचार की जरूरत नहीं। पाठकों आप समझ गए न कि कल्ला कैसे इंसान हैं। मसलन दान की परिभाषा 'एक हाथ से दान दो तो दूसरे को खबर न हो'। हम कल्ला की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनसे माफी चाहते हैं। लेकिन समाज को दिशा देने वाले इस अनुकरणीय पहल का प्रकाशन जरूर करते हैं। दिल से सलाम कल्ला जी। 

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