शिवपुरी। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग शिवपुरी (म.प्र.) द्वारा सहारा कम्पनी में निवेशक को जमा धनराशि के साथ 7 प्रतिशत की दर से ब्याज जमा करने का आदेश पारित किया है। यह की जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष श्री गौरिशंकर दुबे एवं सदस्य श्री तानाजी राव द्वारा अपने आदेश दिनांक 14/3/2022 के पारित निर्णय में प्रकरण क्रमांक 316/20 शुभं लखेरा बनाम सहारा प्रबंधक, सहारा क्यू शॉप युनिक प्रोडक्ट्स लिमिटेडआदी एवं 317/20 आकाश भसीन बनाम सहारा प्रबंधक, सहारा क्यू शॉप युनिक प्रोडक्ट्स लिमिटेड आदी में महत्वपूर्ण निर्णय पारित कर अनावेदकगणों के विरूध एक्पक्षिय कार्यवाही की गई है। आवेदक शुभम लखेरा की ओर से एवं आकश भसिन की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री जितेंद्र समाधिया द्वारा की गई । जिसमें आवेदक शुभम लखेरा द्वारा सहारा क्यू शॉप युनिक प्रॉडक्ट्स कम्पनी लिमिटेड में 7500/- रूपए की धनराशि प्राप्त की गई थी। कम्पनी ने 24/4/2018 को 7,500/- की राशि जमा की थी।
जिसकी परिपक्वता राशी 15100/- रुपए आवेदक को प्राप्त हुई थी। किन्तु परिपक्वता पूर्ण होने पर आवेदक द्वारा कई बार सहारा प्रबंधक कार्यालय पर उक्त राशी प्राप्त करने के लिए सम्पर्क किया था। परंतु अनावेदक सहारा कम्पनी द्वारा परिपक्वता पूर्ण हो जाने के बाद भी आवेदक को निवेश की गई राशि परिपक्वता राशि वापिस नहीं की गई, तब आवेदक ने अपने अधिवक्ता श्री जितेंद्र समाधिया ने धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत माननीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के समक्ष अलग -अलग दो प्रकरण में परिवाद प्रस्तुत किये थे। जिसमें माननीय न्यायालय ने अपने पारित निर्णय में स्पष्ट किया की निर्णय दिनांक से 1 माह के भीतर आवेदक को उसके द्वारा सहारा कम्पनी द्वारा की गई जमा राशि 7,500/- रुपए एवं परिपक्वता राशि एवं सम्पुर्ण परिपक्वता राशि पर परिपक्वता दिनांक से अदायगी दिनांक तक 7 प्रतिशत ब्याज भी अलग से जमा करे। आज निर्णय दिनांक से 1 माह के अन्दर अदा न करने पर अदाय्गी दिनांक तक 7 प्रतिशत ब्याज दर देय होगा। एवं 317/20 प्रकरण में न्यायालय द्वारा निर्णय दिनांक से 1 माह के भीतर आवेदक को सहारा कम्पनी प्लांट में जमा की गयी राशि 13100/- रूपये सम्पूर्ण परिपक्वता राशि पर परिपक्वता दीनांक से 7 प्रतिशत वार्षिक दर से अतिरिक्त ब्याज भी अदा करने का आदेश माननीय न्यायालय द्वारा सहारा कम्पनी को किया गया है। उक्त दोनो प्रकरणों में 316/20 एवं 317/20 की पेरवी अ धिवक्ता श्री जितेंद्र समाधिया द्वारा अपने तर्क एवं साक्ष्य न्यायालय के सामने रखे गए थे। उक्त तर्क एवं साक्ष्यों के आधार पर माननीय न्यायालय ने उपभोक्ता सेवा में कमी कर उक्त आदेश पारित किया है।

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