शिवपुरी। प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को संपूर्ण विश्व में विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया में कई सारे देश ऐसे हैं जो कि एक मच्छर के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया से लड़ रहे हैं। हर साल मलेरिया से लाखों मौतें होती हैं। गंदगी वाली जगहों और नम इलाकों में मलेरिया बहुत जल्दी अपने पैर पसारता है। कई सारे लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं ,जिस कारण उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए शक्तिशाली महिला संगठन, ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन एवम स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त रूप से मिलकर ग्राम कराई के आगनवाड़ी केंद्र पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया । प्रोग्राम संयोजक रवि गोयल ने अधिक जानकारी देते हुए बताया की पहली बार 'विश्व मलेरिया दिवस' 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया था। इसको मनाने के पीछे कारण यह है कि हर साल पूरे विश्व में इस रोग से कई लोग जान गवां देते हैं लेकिन इसके प्रति आज भी जागरूकता नहीं है। मरने वालों में ग्रामीण और अविकसित क्षेत्र के लोगों की संख्या अधिक होती है । प्रोग्राम में जिला एमजीसीए सदस्या श्रृद्धा जादौन ने अपने संबोधन में कहा की मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है। मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से यह बीमारी इंसानों में फैलती है। इसके लिए मैदानी अमले को समुदाय में जागरूकता लाने की जरूरत है कहीं भी लार्वा जमा न होने दें गर्मी में कूलर का पानी तीन चार दिन में बदलते रहे। मेडिकल ऑफीसर डाक्टर यशस्वी मेहता ने प्रोग्राम में समुदाय को बताया की मलेरिया के कुछ लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं लेकिन मलेरिया अधिकतर बारिश के मौसम में होता है क्योंकि इन दिनों मच्छर अधिक होते हैं। मलेरिया होने पर बुखार आना, घबराहट होना, सिरदर्द, हाथ-पैर दर्द, कमजोरी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों को अधिक नजरअंदाज करना स्थिति को गंभीर कर सकता है। इसीलिए ठंड देकर बुखार आने पर एएनएम आशा से मलेरिया की जांच अवश्य कराएं। प्रोग्राम में एएनएम गीता पटेल, आशा रचना वर्मा, रचना धाकड़, सुमित्रा, ज्योति कुलश्रेष्ठ आगनवाड़ी इसके साथ सुपोषण सखी ने भी सक्रीय भूमिका निभाई।

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