इन दिनों आकाश में पूरब दिशा की ओर एक अदभुत नजारा देखने को मिल रहा है। यहां चार ग्रह एक साथ दिख रहे हैं। इन्हें बिना दूरबीन के कब किस दिशा में देख सकते हैं? इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं, देश के जानेमाने ज्योतिर्विद व लाइफ मेम्बर ग्वालियर एकेडमी मैथमेटिकल साइंस भोपाल एवम पूर्व ज्योतिर्विज्ञान प्राध्यापक जीवाजी विश्व विद्यालय ग्वालियर श्री बृजेन्द्र श्रीवास्तव आपके लोकप्रिय अच्छी और सच्ची खबरों के स्टेशन mamakadhamaka.com के पाठकों के लिये हम यह रोचक जानकारी शब्दशः प्रकाशित कर रहे हैं।
अप्रैल मध्य से आकाश में पूरब दिशा की ओर एक अदभुत नजारा देखने को मिल रहा है। यहां चार ग्रह एक साथ दिख रहे हैं। पूरब दिशा में सुबह लगभग चार बजे से आप इन्हें बिना दूरबीन या टेलिस्कोप के आसानी से देख सकते हैं। बस थोड़ा कष्ट कर सूर्योदय से कुछ पहले जागकर पूरब दिशा की ओर देखें। पूरब दिशा में भवन या वृक्ष न हों। क्षितिज से खुला आकाश दिखता हो। वैसे आपको गुरु शनि मंगल शेष 2022 में आसानी से पूरब दक्षिण पूरब और दक्षिण दिशा में प्रतिदिन दिखाई देते रहेंगे पर ऐसी पंक्ति में नहीं दिखेंगे।
प्रतिदिन ये ग्रह और जल्दी जल्दी पूरब में उदित होते जाएंगे और कुछ माह में ये शाम होते ही पूरब में आधी रात के बाद मध्य आकाश में और सुबह के पहले दक्षिण पश्चिम में दिखेते रहेंगे तब आप इन्हें आधीरात से और फिर शाम होते ही देख सकेंगे पर अभी तो प्रातःकालीन दर्शन आनन्द लीजिए। इन चारों में से शुक्र ग्रह 11 जनवरी 2022 से सुबह का तारा बन कर पूरब में दिख रहा है जो 29 सितंबर तक पूरब में ही दिखता रहेगा। शुक्र ग्रह 29 सितंबर 2022 से पूरब में अस्त हो जाएगा अर्थात दिखेगा नहीं।
फिर यही शुभ्र वर्णी शुक्र ग्रह 21 नवंबर 2022 से संध्या के पश्चिम आकाश में दिशा-वधु के भाल पर शुभ्र बेदी सा चमकने लगेगा। इस सप्ताह की खास बात यह है कि ये चारों ग्रह एक रेखा में पूरब से दक्षिण दिशा की ओर दिख रहे हैं और बड़ा ही मनोरम दृश्य उपस्थित कर रहे हैं। यहाँ गिनती में नेपच्यून (वरुण ) आदि को शामिल नहीं किया है क्योंकि इन्हें केवल नेत्रों से देख पाना व पहचान कर पाना मुश्किल है
★यहाँ रविवार 24 अप्रैल 2022 से 30 अप्रैल 2022 के बीच सुबह लगभग चार बजे से सूर्योदय के बाद से चार बड़े ग्रहों के पूरब दिशा में उदय का समय दिया गया है। संयोग से कृष्ण पक्ष का चंद्रमा इस सप्ताह इन ग्रहों के निकट दिखेगा, इसलिए आप इन ग्रहों को आसानी से पहचान सकते हैं।
* नील वर्ण का शनि ग्रह रात दो सवा दो बजे से पूरब में मकर कुम्भ राशि की सीमा के बीच दिख रहा है।
* रक्त वर्ण का मङ्गल ग्रह तीन बजे से पूरब में कुम्भ राशि पर दिखा रहा है।
* शुभ्रवर्ण का शुक्र ग्रह लगभग पौने चार बजे से पूरब में मीन राशि पर दिख रहा है।
* पीत वर्ण का बड़े आकार का बृहस्पति ग्रह चार बजे से मीन में शुक्र के पास दिख रहा है।
ऊपर के चित्र में 24 अप्रैल की सुबह के पहले कृष्ण नवमी दशमी का घटता हुआ चंद्रमा शनि ग्रह के निकट दिख रहा है।
ऊपर के चित्र में 26 अप्रैल की सुबह के पहले कृष्ण एकादशी-द्वादशी का चन्द्रमा लाल मंगल ग्रह के निकट दिख रहा है।
नीचे के चित्र में 27 28 अप्रैल की सुबह के पहले कृष्ण त्रयोदशी का क्षीण चंद्रमा लगभग रात पौने चार बजे के बाद से उदित होकर शुक्र और गुरु ग्रह के निकट युति योग बनाने के लिए बढ़ रहा है।
इस सप्ताह की विशेष घटना
दैत्य गुरु शुक्र और देवगुरु बृहस्पति की परस्पर आसानी से दर्शनीय युति conjunction: शुक्र और गुरु ग्रह पृथ्वी से देखने पर दोनों परस्पर अति निकट इस सप्ताह दिख रहे हैं इसे ज्योतिष व खगोल में युति या conjunction कहते हैं जो 4, 5 मई 2022 तक दिखेगी यद्यपि अंशात्मक अंतर बढ़ता जाएगा।
30 अप्रैल की रात अर्थात 1 मई की सुबह के पहले रात 12 15 बजे सफेद चमकीला शुक्र ग्रह पीले बड़े आकार के गुरु ग्रह के नीचे अर्थात दक्षिण से शून्य अंश 2 कला के अंतर से गुजरेगा पर हमें इस ग्रह योग में अमावस्या होने से चंद्रमा नहीं दिखेगा। पूरब में चार बजे के लगभग उदित होने पर यह अनोखा गुरु शुक्र योग दिखेगा जो सूर्य उदय के पहले तक दिखता रहेगा।
6 मई 2022 को पूरब में शुक्र गुरु अलग अलग दिख रहे हैं । लगभग एक रेखा में ये चारों ग्रह अभी भी देखे जा सकते हैं ।
तकनीकी अर्थात खगोलीय दृष्टि से ये चारों ग्रह चित्र में दर्शित लाल रंग के क्रान्तिवृत्त की रेखा अर्थात सूर्य के भ्रमण पथ की रेखा पर एकदम शून्य अंश पर नहीं हैं। इस क्रान्ति वृत्त ecliptic के नीचे अर्थात दक्षिण में थोड़ा भिन्न भिन्न शर latitude पर हैं पर लगभग धनुष के चाप जैसी पर किंचित सरल रेखा पर हैं और आसानी से देखे जा सकते हैं।
इस और अगले तीन सप्ताह तक सुबह आकाश दर्शन कर यह विलक्षण चार ग्रहों का एक रेखा में दिखने का दृश्य अवश्य देखिए और बच्चों को भी दिखाइए ताकि उनमें ब्रह्मांड के प्रति वैज्ञानिक जिज्ञासा जाग्रत हो सके।
(ज्योतिर्विद बृजेन्द्र श्रीवास्तव)

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