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धमाका बड़ी खबर: आंदोलनकारियों के विरुद्ध कोई सबूत पेश नहीं कर पाई सरकार, सभी बरी

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

/ by Vipin Shukla Mama
* रोजगार गारंटी योजना के तहत कपिल धारा कूप खनन के एवज में पूरी मजदूरी न मिलने पर किया था धरना आंदोलन
* पुलिस ने दर्ज किया लोकसेवकों पर हमला, बलवा और शासकीय कार्य में बाधा का अपराध
* अभियोजन की ओर से लेसमात्र भी सबूत पेश नहीं
*  एडवोकेट अजय गौतम और गोपाल व्यास ने की आंदोलनकारियों की पैरवी
शिवपुरी। जनवरी 2017 में रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कपिलधारा कूप निर्माण की एवज में भुगतान न होने से दुखी होकर जनपद पंचायत कार्यालय बदरबास के गेट पर धरना आंदोलन पर बैठे किसान आंदोलनकारियों के विरुद्ध पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एक आपराधिक मामले में अभियोजन द्वारा प्रस्तुत प्रकरण में अगस्त 2018 में श्री जितेन्द्र शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोलारस द्वारा पारित निर्णय में सभी आठ आंदोलनकारियों को दोषमुक्त किया था। जिसके विरुद्ध मप्र राज्य जिला दण्डाधिकारी शिवपुरी द्वारा लोक अभियोजक के माध्यम से सत्र न्यायालय शिवपुरी में प्रस्तुत अपील पर निर्णय सुनाते हुए माननीय सत्र न्यायाधीश श्री विनोद कुमार ने आठों आंदोलनकारियों को दोषमुक्त करदिया है। अपील न्यायलय में आंदोलनकारियों की पैरवी एडवोकेट अजय गौतम और गोपाल व्यास ने की।
अभियोजन द्वारा प्रस्तुत मामला यह था कि फरियादी मुख्य कार्यपालन अधिकारी बदरवास के के शर्मा खंड पंचायत अधिकारी जगमोहन के साथ थाने आकर शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने के संबंध में एक लेखीय आवेदन इस आशय का प्रस्तुत किया कि 18 जनवरी 2017 को प्रातः 10:00 बजे से अभियुक्त गण परमाल सिंह, रामसेवक, सुनील, लक्ष्मण, विजय सिंह, हरिराम, मुकेश और वीरेंद्र समस्त निवासीगण ग्राम सुमैला, थाना बदरवास जिला शिवपुरी द्वारा एक राय होकर जनपद कार्यालय में ताला डाल दिया है, जिससे शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है अतः कार्यालय जनपद पंचायत बदरवास से अभियुक्तों द्वारा लगाया गया ताला खुलवाया जाये एवं अभियुक्तों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाए जिस पर से आरक्षी केंद्र बदरवास ने धारा 147, 186 व 353 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज की। अनुसंधान के पश्चात अभियोग पत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोलारस के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें विचारण पश्चात माननीय न्यायालय ने आंदोलनकारी अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपों को प्रमाणित नहीं पाया और सभी को दोषमुक्त कर दिया था। जिसके विरुद्ध मध्यप्रदेश राज्य द्वारा दंडाधिकारी जिला शिवपुरी ने लोक अभियोजक के माध्यम से माननीय सत्र न्यायाधीश शिवपुरी में अपील प्रस्तुत की थी। आंदोलनकारी प्रत्यर्थीगण की ओर से बहस करते हुए एडवोकेट अजय गौतम ने कहा कि संपूर्ण मामले में अभियोजन आंदोलनकारी प्रत्यर्थीगण के विरुद्ध कोई भी सबूत पेश नहीं कर सका है। किसी भी गवाह ने किसी आंदोलनकारी को जनपद पंचायत कार्यालय पर ताला लगाते हुए नहीं देखा है, वहीं आंदोलन के दौरान किसी प्रकार की हिंसा या बल प्रयोग किए जाने की बात भी किसी गवाह ने नहीं कही है और न ही किसी लोक सेवक के ऊपर हमला करने की बात किसी गवाह ने नहीं कही। अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्यों के प्रकाश में एवं प्रत्यर्थीगण के वकील अजय गौतम की ओर से किये गये तर्कों/ बहस के उपरांत माननीय सत्र न्यायाधीश श्री विनोद कुमार द्वारा पारित निर्णय में कहा गया है कि अभियुक्त गण घटना के 7- 8 दिन पहले से ही घटनास्थल के पास धरना दे रहे थे परंतु अभियोजन की ओर से लेसमात्र भी इस संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है कि अभियुक्त गण ने अथवा उनमें से किसी ने गेट पर ताला लगाकर फरियादी के के शर्मा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को लोक सेवक के रूप में उनके कर्तव्य के निर्वहन से निवारित किया अथवा फरियादी को लोक कर्तव्यों के निर्वहन से निवारित करने के उद्देश्य से बल एवं हिंसा का प्रयोग कर बलवा कारित किया अथवा फरियादी  लोक सेवक के के शर्मा के लोक कर्तव्यों में बाधा उत्पन्न की।

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